Home Headlines मरूस्थल को हरा-भरा करने के लिए राजस्थान सरकार की नई पहल

मरूस्थल को हरा-भरा करने के लिए राजस्थान सरकार की नई पहल

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मरूस्थल को हरा-भरा करने के लिए राजस्थान सरकार की नई पहल
Rajasthan government an incredible plans to green desert
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उदयपुर। प्रदेश के मरूस्थलीय इलाकों में हरित क्षेत्र के विस्तार के लिए राजस्थान सरकार धार्मिक संगठनों, प्रतिनिधियों की मदद लेगी।

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के दूसरे चरण में वसुंधरा राजे और उनके मंत्रियों ने धार्मिक संगठनों, प्रतिनिधियों से लोगों को जागरूक करने की अपील की है। बुधवार को इसी मुद्दे पर उदयपुर संभाग के धार्मिक ट्रस्टों व संगठनों की बैठक हुई।

बैठक में जलदाय मंत्री मंत्री किरण माहेश्वरी, देवस्थान मंत्री ओटाराम देवासी और संभाग के विधायक मौजूद थे।

जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी ने धार्मिक ट्रस्टों के प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सभी अपनी पहल से अपने-अपने क्षेत्रों में न केवल आर्थिक सहयोग अपितु जनता के सहयोग से मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के द्वितीय चरण को शत-प्रतिशत सफल बनाने में सहयोग दें।

जलदाय मंत्री ने कहा कि धर्मगुरु आदरणीय है तथा इनके आशीर्वाद से प्रथम चरण सफल हुआ तथा मरुभूमि पर हरियाली लहलहाई।

9 दिसंबर से अभियान के द्वितीय चरण का शुभारंभ प्रत्येक पंचायत समिति व प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर धर्मगुरुओं व वरिष्ठजनों द्वारा किया जाएगा।

उन्होंने इसे सर्वधर्म अभियान बताया और सभी धर्मों के संतों से अपील की कि वे पत्र लिखकर अपने समाज को इस अभियान के संबंध में जानकारी दें व आमजनता से श्रमदान व अन्य प्रकार के सहयोग ले इसे सफल बनाएं।

उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक ट्रस्ट एवं संगठन स्वप्रेरणा से ग्रामों को चिह्नित कर गोद लें व उसके विकास कार्यों में सहयोग प्रदान करें।

राजस्थान प्रदेश में जल समस्या बेहद विकट रही है परन्तु गत वर्ष अच्छी वर्षा होने व मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत सूखे पड़े बावड़ियां, कुएं, तालाब आदि के रीचार्ज होने से गांव-गांव खुशहाली आई है व पीने के पानी की किल्लत दूर हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रशासन के सहयोग से प्रत्येक जिले में ग्राम कार्य योजना बनाई गई है जिसमें प्रत्येक ग्राम में उपलब्ध जल का आकलन कर गांव में पानी की कमी के लिए नये जल संग्रहण ढांचें व अन्य उपाय प्रस्तावित किए जाएंगे।

इसके तहत गतिविधियों का चयन, भूमि के प्रकार व उपयोग, ढलान, वर्षा जल की उपलब्धता आदि कर आकलन कर इसके लिए योजना ग्रामवासियों के साथ मिलकर तैयार की जायेगी तथा जीआईएस व उपग्रह से प्राप्त चित्रों की मदद भी ली जाएगी।

प्रस्तावित कार्यों का तकनीकी व आर्थिक विश्लेषण जीआईएस एवं रिमोट सेंसिंग तकनीक से होगा। उन्होंने कहा कि समस्त कार्यों की जीओ टेगिंग होगी व क्रियान्वयन की प्रभावी समीक्षा मोबाइल एप के माध्यम से होगी।

देवस्थान मंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि जल है तो कल है, जल ही जीवन है और जल ही जगदीश। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जल संसाधन विकसित किए व प्रदेश की मुख्यमंत्री द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान उन्हें संरक्षित कर रहा है जिससे आने वाले समय में जल समस्या का समाधान हो जाएगा।