Home Breaking सिरोही चिकित्सालय की स्थिति को उच्च न्यायालय ने गंभीर माना

सिरोही चिकित्सालय की स्थिति को उच्च न्यायालय ने गंभीर माना

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सिरोही चिकित्सालय की स्थिति को उच्च न्यायालय ने गंभीर माना
sanyam lodha
sirohi trauma center
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के न्यायाधीश गोविन्द माथुर एवं जी.आर. मूलचंदानी ने सिरोही के जिला अस्पताल की बदहाल स्थिति को गंभीर बताया है और कहा कि इसके लिए तत्काल कदम उठाये जाने चाहिये।

सिरोही के पूर्व विधायक संयम लोढा की ओर से दायर जनहित याचिका की बुधवार को सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने आदेश जारी कर राज्य सरकार को याचिका में उठाये गये मुद्दो पर पूरी रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष 27 अप्रेल को पेश करने के निर्देश दिये हैं। उच्च न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रेल को होगी।
लोढा ने याचिका में राज्य सरकार के चिकित्सा सचिव, सिरोही जिला कलेक्टर, जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिरोही, जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सिरोही को पक्षकार बनाया है। उच्च न्यायालय जोधपुर में बुधवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता एस.एस. लाडरेचा व विकास चैधरी ने कहा कि राज्य सरकार सिरोही के जिला चिकित्सा अस्पताल की जरूरतो का प्ररिक्षण कर रही है एवं सभी आवश्यक कदम उठाये जाएंगे।

लोढा की ओर से अधिवक्ता संदीप शाह एवं विवेक सनाढ्य ने जिला अस्पताल सिरोही में एवं जिले के ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियांे के रिक्त पद भरने का आग्रह किया। इन्हांेने ट्रोमा सेन्टर सिरोही को समस्त सुविधाआंे के साथ कार्यशील करने और ट्रोमा सेन्टर में भी चिकित्सक लगाने के संबंध में न्यायालय से आग्रह किया।
लोढा की ओर से उच्च न्यायालय का ध्यान दिलाया गया कि राज्य सरकार जिला चिकित्सालय सिरोही की सभी शाखाओ को सुचारू रूप से चलाने के लिये आवश्यक धनराशि जारी नही कर रही है। यहां तक की लेबोरेट्री में चिकित्सा जांच की भी समुचित व्यवस्था नहीं है।

लोढा ने न्यायालय को बताया कि सिरोही जिला मुख्यालय है एवं राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। अनेक दुर्घटनाएं होती रहती हैं। घायलों को इलाज के लिये जिला अस्पताल सिरोही लाया जाता है। सिरोही जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां के नागरिक इतने सक्षम नहीं हैं कि निजी अस्पताल में ईलाज करवा सके।

पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नही होने के कारण समाज के निचले तबके के लोगो को काफी क्षति उठानी पडती है और चिकित्सा सुविधा प्राप्त करना दूभर हो गया है।
-चिकित्सालय में स्टाफ की स्थिति से अवगत कराया
न्यायालय को लोढा ने सिरोही जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सा एवं पैरामेडीकल समेत अन्य स्टाफ की स्थिति से अवगत करवाया है। सिरोही के जिला चिकित्सालय में चिकित्सको के स्वीकृत 42 पदों में से 26 पद रिक्त पडे़ हंै इसी तरह मुख्य नर्सिंग अधीक्षक का पद रिक्त हैं। नर्सिंग अधीक्षक प्रथम के 2 में से 1 पद रिक्त है। नर्सिंग अधीक्षक द्वितीय के 3 पद है व तीनो ही पद रिक्त पडे है। नर्स के 73 में से 35 रिक्त पडे है। लेब टैक्निशियन के स्वीकृत 12 पदो में से 7 पद रिक्त पडे है। वरिष्ठ रेडियोग्राफर के स्वीकृत 4 पदांे में से सभी 4 पद रिक्त पडे़ हैं। रेडियोग्राफर के स्वीकृत 3 पद में से 2 पद रिक्त पडे है। सहायक रेडियोग्राफर के स्वीकृत 6 पदो में से 6 पद रिक्त पडे है। एल.एच.वी. के स्वीकृत 3 पदांे में से सभी 3 पद रिक्त पडे है। वार्ड बाॅय के स्वीकृत 21 पदो में से 11 पद रिक्त पडे है।
-शेष जिला भी बदहाल
न्यायालय में लोढा ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आबूरोड में चिकित्सको के स्वीकृत 10 पदो में से 8 पद रिक्त पडे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रेवदर में चिकित्सको के स्वीकृत 8 पदो में से 7 पद रिक्त पडे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कालन्द्री में चिकित्सकों के स्वीकृत 6 पदो में से 4 पद रिक्त पड़े है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शिवगंज में चिकित्सको के स्वीकृत 9 पदो में 5 पद रिक्त पडे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आबूपर्वत में चिकित्सको के स्वीकृत 10 पदो में 7 पद रिक्त पडे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पिण्डवाडा में चिकित्सको के स्वीकृत 8 पदो में 5 पद रिक्त पडे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सरूपगंज में चिकित्सको के स्वीकृत 8 पदो में 4 पद रिक्त पडे है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नितोडा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दांतराई, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भटाणा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पाडीव, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सनवाडा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मेरमाण्डवाडा में एक भी चिकित्सक कार्यरत नही है। लोग आये दिन यहां पर चिकित्सको की मांग करते है। लेकिन कोई सुनता नही है। इसी तरह जिले के अन्य चिकित्सा केन्द्रो में भी चिकित्सको के पद रिक्त पडे है।