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राजस्थान विधानसभा में विकास कार्यो से ज्यादा जेएनयू पर चर्चा

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राजस्थान विधानसभा में विकास कार्यो से ज्यादा जेएनयू पर चर्चा
Rajasthan vidhan sabha
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जयपुर। विधानसभा के छठें सत्र के तीसरे दिन भी सदन में जेएनयू मामले की गूंज रही।राज्यपाल के अभिभाषण पर सार्थक बहस की बजाय विधायकों के पास जेएनयू मुद्दे के सिवाय कोई विषय नहीं दिखा। न केवल पक्ष बल्कि विपक्ष के सदस्य भी विकास के मुद्दों पर बहस करने के बजाय जेएनयू मुद्दे पर एक-दूसरे पर कटाक्ष करते दिखे।

मीणा-मीना मामले पर हुए विवाद के बाद स्थगित हुई सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे जैसे ही शुरू हुई तो भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने बोलना शुरू किया और जेएनयू मामले पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो नेता राष्ट्रीय विरोधी नारों की पैरवी करें उनसे उम्मीद ही क्या लगाई जा सकती है?

आज पूरे देश में बुद्धीजीवी कांग्रेसी नेताओं की उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं? इस पर कांग्रेस के विधायक सुखराम विश्नोई ने चुटकी लेते हुए कहा कि तुम्हारे यहां सांगानेर से आने वाले सदस्य से पूछे कि क्या उन्हे खुलकर बोलने की आजादी है क्या यहां?

पहले बोले, फिर वापस लिए अपने बोल

जेएनयू मुद्दे पर ही भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत भी बोलने से पीछे नहीं रहे। उन्होने कहा कि अगर कोई देश-द्रोह की बात करता है चाहे वह राहुल गांधी हो, सीताराम सेचुरी या कन्हैया उनकी जुबान काट देनी चाहिए।

हालांकि बाद में अपने इस बोल को वापस लेने की अपील की। इससे पहले राजावत ने मौजूदा सरकार की भामाशाह, स्वास्थ्य बीमा योजना, गौरव पथ, जल स्वावल बन योजना सहित अन्य कार्यो की जमकर तारीफ की। इस बीच उन्होने पिछली सरकार की कई योजनाओं की बुराईयां की।

कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत ने भाजपा विधायकों को जमकर सुनाई और कांग्रेस के समय की उपलब्धियां गिनाई। उन्होने कहा कि मोबाइल, कंप्यूटर क्रांति, अंतरिक्ष मिशन जैसे काम कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों के शासन काल में हुए है। इन्ही कारणों से भारत की विश्व में पहचान हुई।

सोनिया और राहुल गांधी के विदेशी होने की भाजपा विधायकों की टिप्पणी का जवाब देते हुए रावत ने कहा कि स्वतंत्र भारत के बाद अब तक जो भी प्रधानमंत्री बना है वह देश में ही जन्मा है।

सोनिया गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बनी। जिस तरह आज तुम देश-द्रोह के नाम पर गर्दन, जुबान काटने की बातें कर रहे है, मुझे ये बताओं की तुम पिछले जन्म में किसकी दुकानें चलाते थे?

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