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बजट में जेटली कर सकते हैं करों में कमी

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बजट में जेटली कर सकते हैं करों में कमी
Reduction in taxes in the budget may Jaitley
Reduction in taxes in the budget may Jaitley
Reduction in taxes in the budget may Jaitley

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट में कर की दरें कमी कर सकते है। लेकिन उनके समक्ष 2017-18 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह के अनुमान को लेकर एक अजीब समस्या है। जीएसटी के कारण इसका अनुमान लगाना मुश्किल होगा।

सामान्य तौर पर वित्त मंत्री वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर संग्रह के अनुमान के आधार पर कल्याणकारी खर्च का ताना-बाना बुनते हैं। कर विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्यक्ष कर (व्यक्तिगत और कंपनी कर) संग्रह का अनुमान उपलब्ध होगा लेकिन वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने की समयसीमा एक जुलाई तक टाले जाने से 2017-18 के लिये अप्रत्यक्ष कर संग्रह के बारे में कोई भरोसेमंद अनुमान उपलब्ध नहीं होगा।

अप्रत्यक्ष कर में सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद कर और सेवा कर शामिल हैं। सीमा शुल्क राजस्व के बारे में अनुमान उपलब्ध होगा लेकिन उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के मामले में यह मुश्किल है क्योंकि ये दोनों कर जीएसटी में समाहित होंगे। जीएसटी राज्य वैट को भी स्वयं में समाहित करेगा।

मोटे तौर पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा वैट के वस्तु एवं सेवा कर (GST) शामिल होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी राजस्व में केंद्र की हिस्सेदारी आधी होगी और वित्त मंत्री अपना बजट उस आधार पर तैयार कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लेकिन इस साल कुछ अलग है। GST परिषद को अभी यह निर्णय करना है कि कौन से उत्पाद या सेवा पर किस दर से कर लगेगा, ऐसे में जीएसटी राजस्व का सटीक अनुमान उपलब्ध नहीं होगा।

उसने कहा कि GST राजस्व का आकलन करने के लिये राज्यों के वैट को नहीं लिया जा सकता क्योंकि जीएसटी के तहत विभिन्न उत्पादों के लिये कराधान की दर बदल सकती है और साथ ही राज्यों का आंकड़ा हमेशा भरोसेमंद नहीं होता। एक अन्य कर विशेषज्ञ ने कहा कि जबतक विभिन्न उत्पादों और सेवाओं पर कर की दरों का निर्धारण नहीं हो जाता, 2017-18 के लिये कर राजस्व के अनुमान पर नहीं पहुंचा जा सकता।