Home Health भगवान भरोसे रहोगे तो नहीं होगा ‘अटैक’

भगवान भरोसे रहोगे तो नहीं होगा ‘अटैक’

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भगवान भरोसे रहोगे तो नहीं होगा ‘अटैक’
pediatric cardiologist dr vijayalakshmi

pediatric cardiologist dr vijayalakshmi

सिरोही/आबूरोड। भगवान पर भरोसा रखकर अपने हर चिंता को छोड़ दोगे तो हार्ट अटैक भी कम होगा। हार्ट अटैक का आध्यात्म से संबंध बताते हुए बेंगलोर की जयदेवा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्क्युलर साइंस एंड रिसर्च की पिडियेट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट की प्रोफेसर डॉ विजयलक्ष्मी ने कहा कि स्ट्रेस यानि टेंशन हार्टअटैक का सबसे बड़ा कारण है।

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यदि भगवान पर भरोसा होगा और आदमी यह मानने लगेगा कि उसके हिस्से में कर्म करना है और अच्छा या बुरा फल भगवान देगा तो अपने आप ही उसका स्टे्रस कम होगा, जिससे उसमें हार्ट अटैक की आशंका भी कम होगी। शांतिवन में शुरू हुए चार दिवसीय दसवी वल्र्ड कांग्रेस ऑन क्लिनिकल प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी एंड इमेजिंग के दौरान उन्होंने सबगुरु न्यूज को बताया कि यदि आज हर व्यक्ति अपनी हर विफलता और सफलता का श्रेय और दोष खुदको देने की प्रवृत्ति डाला हुआ है इसलिए हार्ट अटैक भी बढ़ा है।

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सडक़ दुर्घटनाओं से ज्यादा मौत अटैक से

डॉ विजयलक्ष्मी ने बताया कि भारत में हर साल करीब नब्बे हजार मौतें सडक दुर्घटना से होती है। यह समाचार पत्रों ंकी सुर्खियां बनती हैं, लेकिन हर दो सेकेंड में एक मौत हार्ट अटैक से हो रही है इसके प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है। उन्होंने बताया कि साठ जम्बोजेट की दुर्घटना में जितनी सवारियों की मौत हो सकती है उतनी ही मौतें प्रतिदिन हार्ट अटैक से होती है। इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है।
मरते हैं डेढ करोड़ लोग

डॉ विजय लक्ष्मी ने बताया कि भारत की जनसंख्या सवा सौ करोड़ है, लेकिन एक दशक में इसमें से डेढ़ करोड़ लोग हार्ट अटैक से मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या अमेरीका के हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या से 5900 प्रतिशत ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, इसलिए भारत में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या को रोकने के लिए जागरूकता की आवश्यकता है।

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बच्चों पर नहीं डालें स्ट्रेस

डॉ विजयलक्ष्मी ने कहा कि भारत में बच्चों में भी हार्ट अटैक की समस्या आ गई है। इसका प्रमुख कारण उनमें बढ़ रहा स्ट्रेस है। उन्होंने कहा कि माता-पिता कम्पीटीशन में डालकर बच्चों पर पढाई का इतना स्ट्रेस डालते हैं कि उनकी खेलकूद की गतिविधियां प्रभावित हो जाती हैं। इससे उनका टेंशन कम नहीं हो पाता।

इस पर उनके खान पान में भी फास्ट-फूड की मात्रा ज्यादा बढ़ा दी है, इससे बच्चों में ओबेसिटी होने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस और हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को खेलने कूदने दिया जाए ताकि उनका स्ट्रेस कम हो। खाने में दाल, सब्जी और फल ही दिये जाएं। प्रतिदिन एक मुट्ठी सभी ड्रायफू्रट मिलाकर बच्चों को खाने के लिए देवें। उन्होंने कहा कि बच्चों में प्रतिदिन सूर्य नमस्कार और योगा की आदत डालें जिससे मन और तन स्वस्थ रहे।