Home Rajasthan Udaipur पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल के साथ ‘शरद रंग’ विदा

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल के साथ ‘शरद रंग’ विदा

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पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल के साथ ‘शरद रंग’ विदा
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सबगुरु न्युज  उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में स्थित लोक कला एवं ग्रामीण परिसर ‘‘शिल्पग्राम’’ में पश्चिम क्षेेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से चल रहे पांच दिवसीय विशेष उत्सव ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टिवल का समापन रविवार को हुआ। पांच दिन के उत्सव में एक ओर जहां आठ राज्यों के पाक शिल्पियों के बनाये व्यंजनों की महक फिजां में घुली, वहीं आखिरी शाम दिव्यांग बालकों का व्हील चेयर पर हतप्रभ कर देने वाला कला कौशल रोमांचित कर गया। गुलाबी सर्दी का अहसास कराती रविवार की रात में शास्त्रीत्व के रंग में सजी सामयिक नृत्य प्रस्तुतियों के दौरान तालियों की गड़गड़ाहट से ऊष्मित सा कर दिया।
मुक्ताकाशी रंगमंच पर विशेष कला प्रस्तुति में सर्वप्रथम अन्वेषणा सोसायटी नई दिल्ली के कलाकारों की प्रस्तुति रही। संगीता शर्मा के नेतृत्व में आये इस दल ने महाभारत पर आधारित ‘‘अतिरथी’’ का प्रस्तुतीकरण प्रभावी ढंग से किया। दक्षिण भारत की मार्शल आर्ट लिरी पयट्टू, आॅडीशा का छाऊ तथा कत्थक जैसी शास्त्रीय कला के त्रियुग्म से सजी इस प्रस्तुति में महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन के निर्णायक युद्ध के पाश्र्व की मनः स्थिति का चित्रण कलात्मक ढंग से किया गया। पं. नरेन्द्र शर्मा की शिष्या और नृत्य नाटिका के वरिष्ठ कलाकार पं. उदय शंकर की अनुयायी संगीता शर्मा द्वारा परिकल्पित इस प्रस्तुति में कौरवों की ओर से युद्ध करने वाले कर्ण को जहां एक वीर योद्धा बताया वहीं पांडव सेना की बागडोर धनुर्धर अर्जुन के हाथ में थी। दोनों कुंती पुत्र थे पर एक दूसरे के विरुद्ध लड़े। ऐसे में कंुती की मन की स्थिति को नृत्य रचना में श्रेष्ठ व भाव पूर्ण ढंग से प्रदर्शित किया गया। युद्ध के दृश्यों में मार्शल आर्ट का प्रयोग सभी को रोमांचित कर गया। प्रस्तुति में स्वयं संगीता शर्मा, सुभाशीष डे, केरोलीना प्रदा, अदिती चटर्जी, उमेश बिष्ट, साक्षी जूयल, तुशार यादव, प्रज्ञा मट्टा, व पुनीत गंगानी ने अपने नृत्याभिनय से समां सा बांध दिया। प्रस्तुति में प्रकाश व्यवस्था अतुल मिश्रा की थी तथा संगीत रचना जीवेश सिंह की थी।

इसके बाद नई दिल्ली की संस्था वी आर वन ट्रस्ट से आये दिव्यांग कला साधकों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को हतप्रभ कर दिया। वी आर वन के हसनेन की अगुवाई में दिव्यांग कलाकारों ने सर्व प्रथम ‘‘डिवीनिटी आॅन व्हील्स’’ के जरिये दर्शकों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसके बाद गणपति वंदना में ईश स्तुति की गई। मुक्ताकाशी रंगमंच की दर्शक दीर्घा में मौजूद कला प्रेमी उस समय आश्चर्य चकित रह गये जब दिव्यांग कलाकारों ने ‘‘क्लासिकल मूड आॅन व्हील्स’’ में भरतनाट्यम् शैली के तत्वों का प्रदर्शन व्हील्स पर किया। दक्षिण भारतीय शैली के संगीत पर भरत नाट्यम की मुद्राएं व्हील्स पर बनाना तथा उसे एकटक निहारना दर्शकों के लिये एक नूतन अनुभव बन सका। नृत्य की संरचना इतनी बेहतरीन थी कि एक-एक मुद्रा और मूवमेन्ट्स दर्शनीय बन सके। इसके बाद ‘‘न्यू इनोवेटिव्ज इन आर्ट’’ समापन अवसर की बेहतरीन प्रस्तुति बनी। हसनेन के अनुसार इस प्रस्तुति में व्हील्स पर पहली बार ‘‘शिव ताण्डव’’ का प्रदर्शन पहली बार उदयपुर में किया गया। शिव ताण्डव स्रोत ‘‘जटाटवीगलज्लज प्रवाहपावितस्थले गलेवलम्ब लंबितां भुजंगतुंगमालिकाम्….’’ के सुरों पर दिव्यांग कलाकारों ने एक नये जोश खरोश के साथ ‘‘शिव ताण्डव’’ का प्रदर्शन कर दर्शकों को अचम्भित कर दिया तथा समूची दर्शक दीर्घा करतल ध्वनि से गुंजायमान हो उठी। प्रस्तुति में हसनेन, मेन्टोर गीता पुदवल, कोरियोग्राफर गुलशन कुमार के साथ कलाकार अलका शाह, करुणा सरकार, ज्योति, मनीष वर्मा, विजय कुमार, हरबीर सिंह व अर्जन ने अपने जानदार कला कौशल का प्रदर्शन किया।
रविवार के अवकाश के चलते दोपहर व शाम में बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे व खान-पान का कचोरी, छोले भटूरे, छोले कुलछे, झुणका भाखर, मटका रोटी, लिट्टी चोखा, जलेबा, चन्द्रकला, हबहारी मिठाई, अवधि मिष्ठान्न, वाहिद के बनाये निरामिष (नाॅनवेज) खाने का आनन्द लिया।