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राजस्थान: bjp में हो सकता है बड़ा बदलाव, चर्चा जारी

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राजस्थान: bjp में हो सकता है बड़ा बदलाव, चर्चा जारी
v satish, cm raje, parnami
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जयपुर। राज्य सरकार के मंत्रीमंडल के विस्तार और रीशफलिंग से पहले संगठन में बड़ा फेरबदल होने की संभावना है। इसके लिए जयपुर में दो दिनों से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की वी सतीश से मंत्रणा की चर्चा जोरों पर है। सरकार और संगठन में कई लोगों की छुट्टी होने और कई नए चेहरों के सामने आने का कयास लगाया जा रहा है।

दीवाली से पूर्व फिर से मंत्री मंडल और संगठन में बदलाव की संभावनाएं हैं। भाजपा में इस बदलाव की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश जयपुर आए हैं। इन दो दिनों में उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी से भी लम्बी मंत्रणा की है।

इस मंत्रणा को संगठन और मंत्रीमंडल में परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि तीनो नेताओ के बीच इसे लेकर रात तक मंथन चला है। पार्टी सूत्रों के अनुसार बैठक मे मंत्रिमंडल विस्तार में सरकार मे शामिल होने वाले नए चेहरों को लेकर तो चर्चा हुई ही है, साथ ही प्रदेश कार्यकारणी मे कई निष्किय और वर्तमान मे सरकार मे शामिल नेताओ को हटाने को लेकर भी चर्चा हुई।

मंत्रिमंडल विस्तार और संघटन मे बदलाव को लेकर एक साथ चर्चा का एक व्यक्ति को एक पद देने के बीजेपी के सिद्धांत को ताकि फॉलो करना है। बताया जा रहा है कि मंत्रीमंडल के विस्तार से पहले संगठन में जरूरी फेरबदल किया जाएगा।
-जनता में जबदस्त असंतोष
दरअसल, वसुंधरा राजे को प्रदेश की जनता ने जिस उद्देश्य से सत्ता पर काबिज किया था वह पूर्ण नहीं होने से जनता में जबरदस्त असंतोष है। तीन सालों में ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि सरकार के पास नहीं है जिसने समाज के सभी वर्गों को लाभांवित किया हो।

सरकार मात्र पंद्रह प्रतिशत लोगो की योजनाओं को ढिंढोरा पीटकर स्वयं को जनकल्याणकारी सरकार बताने की कोशिश में है, लेकिन इन योजनाओं के साथ बुजुर्ग, विद्यार्थी, व्यवसायी, सर्विस सेक्टर, किसान, महिलाओं आदि के लिए सरकार के पास कोई बड़ी योजना नहीं है जिससे वह यह दावा कर सके कि इससे सभी को लाभ मिला है।

योजनाओं के नाम बदलकर उतने लोगों को लाभांवित किया गया, जितने कांग्रेस सरकार में हो रहे थे। इसके अलावा असंतुष्ट लोगों का मानना है कि फूड सिक्योरिटी, भामाशाह योजना, निशुल्क दवा वितरण, चिकित्सा व्यवस्था, सडक़ों के लिए कोई बड़ा काम इस सरकार में नजर नहीं आया है।

दरअसल, सरकार ने सत्ता को विकेन्द्रीकृत करके नौकरशाहों को जनता के उत्पीडऩ के लिए खुला छोड़ दिया है। अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। सबसे बड़ी बात कांग्रेस के जिस भ्रष्टाचार से आजीज आकर उसे सत्ताच्युत किया था, राजेसरकार में वह तमाम पराकाष्ठाएं पार कर चुका है।

निकायों और पंचायतों में यह भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया है कि आम आदमी तो आम आदमी खुद भाजपाइयों को भी वसूली के बिना छोड़ा नहीं जा रहा है। ऐसी स्थिति 2018 में सत्ता में वापसी के लिए यह सरकार की कोशिश है। भाजपा और सरकार के पास काम करने के लिए मात्र एक साल ही बचा है।