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उदयपुर को यूं ही नहीं कहते छोटा कश्मीर 

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उदयपुर को यूं ही नहीं कहते छोटा कश्मीर 

 

पहाड़ों पर चहलकदमी कर रहे हैं बादल

 

झीलों की लहरों पर नाच रही हैं बूंदें

सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। झीलों के शहर उदयपुर पर इन दिनों इंद्रदेव मेहरबान हैं। अरावली की पहाड़ियों पर बादल चहलकदमी कर रहे हैं तो बारिश की बूंदें झीलों की लहरों पर छमछम कर रही हैं। उदयपुर का यह नजारा ही है जो उसे छोटा कश्मीर बना देता है। इस नजारे को देखकर शहरवासी हर बार यही कहते हैं कि जन्नत यहीं है। एक बार जो उदयपुर आ जाता है वह उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता। पुरानी कहावत भी है कि आधी रोटी खाना और मेवाड़ छोड़कर नहीं जाना।
दो दिन से चल रही रिमझिम ने चहुंओर हरियाली के चटख रंगों को और चमक दे दी है। रिमझिम के बावजूद झीलों का नजारा देखने के लिए लोग लालायित हैं। लोग भीगते हुए, गर्म भुट्टे खाते हुए, कुल्फी का लुत्फ उठाते हुए, झीलों से झरते पानी को देख रहे हैं। इनमें सिर्फ शहरवासी ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों से आए पर्यटक भी शामिल हैं।
जो लोग सज्जनगढ़ घूमने जा रहे हैं उनका तो मानो बादल स्वागत करते हैं। पहाड़ की चोटी पर स्थित सज्जनगढ़ का नजारा ऐसा लगता है जैसे शिमला में हों। झीलों का पानी छलक कर शहर के बीच से होकर बह रहा है। उसके किनारे रहने वालों के भी चेहरे खिले हुए हैं।
इन नजारों को देखने के बाद हर कोई यही चाहता है कि उदयपुर साल के 365 ही दिन ऐसा ही नजर आए। झीलें और झीलों की नगरी स्वच्छ रहे, हरी-भरी रहे। यहां की प्राकृतिक सम्पदा शहरवासियों के साथ जलचरों, नभचरों और वन्यजीवों के लिए सुकून भरी रहे।
उदयपुर की लाइफ लाइन कही जाने वाली इन झीलों से छलकने वाला पानी वल्लभनगर तहसील में बने डेम को भरता है और लगातार हो रही बारिश के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि वल्लभनगर का डेम भी जल्द ही भर जाएगा।