Home Delhi भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी

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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी
union cabinet clears contentious land ordinance for third time
union cabinet clears contentious land ordinance for third time
union cabinet clears contentious land ordinance for third time

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को तीसरी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने का फैसला किया है। मंत्रिमंडल के इस फैसले की हालांकि कांग्रेस और जनता दल (युनाइटेड) ने जमकर आलोचना की। पूर्व में लाए गए अध्यादेश की वैधता चार जून को समाप्त हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस बैठक में मंत्रिमंडल ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा पाने का अधिकार और पारदर्शिता (संशोधन) अध्यादेश, 2015 में संशोधन की अनुमति दे दी है।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तीसरी बार लाने का फैसला लिया गया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के कार्यकाल में बनाए गए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को संशोधित करने के लिए पहली बार आध्यादेश पिछले साल दिसंबर में लाया गया था।

आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, 2013 के अधिनियम में परिवर्तन से संबंधित सरकार द्वारा भूमि के एवज में किसानों को बेहतर मुआवजा और पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित लाभ पाने की सुविधा मिलेगी।

एक समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के संबंध में उनकी सरकार द्वारा लिया गया कोई भी फैसला किसान विरोधी नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों ने 2013 के अधिनियम में परिवर्तन की मांग पर जोर दिया था, और वह उनकी परेशानियों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं।

समाचारपत्र ने मोदी से जब पूछा कि क्या वह विधेयक के पारित होने को लेकर आश्वस्त हैं तो मोदी ने कहा कि यह विधेयक उनके लिए जिंदगी और मौत का सवाल नहीं है और इससे उनकी सरकार और उनकी पार्टी का एजेंडा नहीं बदलेगा।

भूमि विधेयक आधिकारिक संशोधनों के बाद मार्च माह में लोकसभा से पारित कर दिया गया था। लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल न होने के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो सका। इसके बाद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को अप्रेल में दोबारा से संसद में पेश करने की अनुमति दी गई थी।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा लागए गए इस विधेयक का कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था जिसके बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था। अध्यादेश को तीसरी बार लाने के मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जाएगा।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि अध्यादेश को दोबारा पेश किए जाने का फैसला देश के किसानों के साथ घोर अन्याय है। यह भारत की संसद का अपमान है, जिसने किसान विरोधी विधेयक को पारित करने से इनकार कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘दोहरे चरित्र वालाÓ और किसान विरोधी रवैया रखने वाला बताते हुए सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह भूमि विधेयक पर सुझावों के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी सरकार ने दोबारा उसी अध्यादेश पर मुहर लगा दी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अध्यादेश द्वारा किसानों पर विवादित भूमि अधिग्रण विधेयक थोपने का प्रयास कर रही है, जो उसे महंगा पड़ेगा। बिहार में कुछ ही महीनों में चुनाव आने वाले हैं।

नीतीश कुमार ने पटना में कहा कि मोदी सरकार राज्यसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित न करा पाने को लेकर हताश है। समूचे देश में किसान इसका विरोध कर रहे हैं।

नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसानों का हित बहुत मायने नहीं रखता। उनके लिए उद्योगपतियों का हित अधिक महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को छोड़कर जनता और विभिन्न राजनीति पार्टियां विधेयक का विरोध कर रही हैं और विधेयक को पुराने स्वरूप में वापस लेने की मांग कर रही हैं। इस तरह का विरोध हमने पहले कभी नहीं देखा।

नीतीश कुमार ने कहा देश के किसानों द्वारा विरोध को नरअंदाज करते हुए मोदी ने भूमि विधेयक को सरकार की साख का मुद्दा बना लिया है।

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