Home Breaking पिता की मदद के लिए पढाई छोड़ ये बेटी बनाने लगी पंचर

पिता की मदद के लिए पढाई छोड़ ये बेटी बनाने लगी पंचर

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पिता की मदद के लिए पढाई छोड़ ये बेटी बनाने लगी पंचर

untold story of a dhamtari girl

धमतरी। पिता की मदद के लिए बेटी ने पाना पेंचिस को ही अपने हाथो का श्रृंगार बना लिया। जो पिता की साइकिल दुकान को अच्छे मैकेनिक की तरह संभालती है।

उसे पंचर व रिपेयरिंग कार्य में महारत हासिल है। बेटे की तरह बेटी को साइकिल दुकान में काम करते देख सभी की आंखे फटी रह जाती है।

गौरतलब हो कि हमेशा यहीं होते आया है कि पिता के काम को बेटे ही सम्हालते है। यदि बेटी हो तो वह मेहंदी सिलाई कढ़ाई आदि को तवज्जो देती है। लेकिन ग्राम भटगांव निवासी देवलाल साहू की बेटी मीनू साहू ने इस नियम को बदल डाला है।

जो अपनी ख्वाहिशों को दूर कर पिता का सहारा बनी है। उसके परिवार में पिता के साथ मां परमेश्वरी दो बहन पार्वती, गुलापा के अलावा दो भाई देवकुमार और खोमेश्वर रहते हैं।

दोनो बहनों की शादी के बाद वे ससुराल चली गई। अब घर में माता पिता के साथ मीनू और दो छोटे भाई हैं। चूंकि पिता गांव में साइकिल रिपेयरिंग कि दुकान चलाते हैं जिससे परिवार का पालन पोषण होता है।

उस दुकान में उनके सहयोग के लिए किसी की जरुरत थी, मगर उसके भाई छोटे पिता की मदद नहीं कर पाते थे। फिर वे लोग पढ़ाई भी करते हैं।

पिता का सहारा बनने के उद्देश्य से मीनू ने अपने शौक का त्याग किया और दुकान में बैठना शुरु किया। कुछ समय में वह पिता के सारे काम जो साइकिल दुकान में किए जाते हैं, सीख लिया और अब वह पिता की गैर मौजूदगी में भी दुकान अच्छी तरह संभाल लेती है।

पंचर, रिपेयरिंग आदि सभी कुछ आसानी से करती है। उसके दुकान में बैठने से पिता को राहत तो मिली फिर आमदनी भी बढ़ी है। बेटी दुकान संभालती है तो पिता दूसरा काम भी कर लेते हैं।

घर के काम में भी दक्ष

मीनू के पिता देवलाल साहू ने बताया की वह दुकान का काम कुछ समय में ही सीख गई और हाथ बटाना प्रारंभ कर दिया था। वह घर के काम में भी आगे है। घर का सारा काम भी वह कर लेती है। उसकी वजह से पिता के साथ परिवार के सभी लोगो को राहत है।

दसवीं पास है मीनू

बताया गया की मीनू साहू ने दसवीं तक पढ़ाई भी पूरी की है। वह दसवीं पास है मगर घर की परिस्थितियों की वजह से उसने पढ़ाई छोड़ पिता की दुकान को संभालना ही उचित समझा। अब वह अपने इस काम में भी सबसे आगे है। पढ़ाई करते हुए उसने पिता के काम को सीखा है।