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नेताओं का नया फंडा : शुभ किया नहीं मगर…शुभकामनाएं

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सिरोही। नवरात्रि चल रही है, गरबा पाण्डाल सज गए हैं।  इसमें लोगों की भीड जुटी है तो त्योहारी सीजन में स्थानीय नेता भी खुद को मल्टीनेशनल ब्रेंड के रूप में पेश करने में लगे हुए हैं। जो नए प्रोडक्ट है वह इन गरबा पाण्डालों में अपने बैनर पोस्टर लगाकर यह दिखा रहे हैं कि  वह लाॅन्च हो चुके हैं और उनमे ये खासियत है. पुराने प्रोडक्ट खुद को बाजार में टिकाए रखने के लिए अपने आपको अपडेट वर्जन बता रहे है।…
इस हकीकत के बीच एक हकीकत यह भी है कि शुभकामनाएं देने को आतुर इन लोगों ने इस शहर का पिछले पांच साल में कोई शुभ नहीं किया। अब मुफत की कामनाएं करके इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। इन्वेस्टमेंट इसलिए कि इस एक महीने में किया गया खर्चा नगर परिषद में घुसकर पांच साल की  कमाई का रास्ता खोल देगा।
क्योंकि पिछले पांच साल का इतिहास यह बता रहा है कि विरोध करके चुप्पी साधना और अपने हित के लिए जनहित को नजरअंदाज करना नगर परिषद मे पहुंचे नेताओं की फितरत बन गई है, ऐसे में शहरवासियों की जिम्मेदारी यह भी हो गई है कि इस दीवाली पर अच्छे से साफ करके घर मे रखी अनुपयोगी सामग्री को बाहर करें और नई व उपयोगी सामग्री घर में लाएं ताकि घर सजाधजा नजर आए।

फिर नेताजी भये जनहितैषी
सिरोही। माउण्ट आबू में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशानुसार अवैध और नियमविरुद्ध बने निर्माण तोडे जा रहे हैं। इनका विरोध भी शुरू हो गया है। इस आदेश् से सबसे ज्यादा नुकसान बडे हाथियों को होगा इसलिए उनमें ज्यादा हडकम्प मचा है।

पिछले पांच साल में माॅनीटरिंग कमेटी की बैठकों में सबसे अपने वार्डों के गरीब और जरूरत मंद लोगों की पैरवी की बजाय रसूखदारों की अटृटालिकाएं बनवाने में मशगूल नेताजी भी फिर से गरीब हितैषि बन गए। चुनाव यहा भी है तो इंवेस्ट्मेंट के लिये वे सडक पर उतरे, बाजार बंद करवाया और संदेश देने की कोशिश् की कि जनविरोध हो रहा है।
इन लोगों ने पिछले पांच साल में कभी भी किसी गिरते मकान को बनवाने और उसे अनुमति दिलवाने के लिए आंदोलन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेषों को दरकिनार करने पर हाईकोर्ट ने कडा रूख अपनाया तो इनके पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। जिन लोगों के नियमविरुद्ध निर्माण करवाने की जमानतें ली थी अब वो गला पकडने लगे तो इनकी सांसें घुटने लगी और दम निकलने से बचने के लिए हाथपांव मारना जरूरी हो गया। इस गोरखधंधे में सरकारी अधिकारी और कार्मिक भी खुदको अछूता नहीं रख पाए थे।
अब उनके भी गले में आन पडी है। वह भी हाइकोर्ट के आदेशानुसार बडे हाथियों के निर्माण गिराने की बजाय जरूरतमंद गरीबों की एक दो दीवारें गिराने में ज्यादा विश्वास कर रहा हैं। इन्हें आशा है कि इस विरोध से जो हलचल मचेगी उससे उनके हित साधने वाले बडे हाथियों को खुदको बचाने का मौका मिल जाएगा।

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