Home Delhi जम्मू एवं कश्मीर में प्रदर्शनों में बच्चे क्यों शामिल : सुप्रीमकोर्ट

जम्मू एवं कश्मीर में प्रदर्शनों में बच्चे क्यों शामिल : सुप्रीमकोर्ट

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जम्मू एवं कश्मीर में प्रदर्शनों में बच्चे क्यों शामिल : सुप्रीमकोर्ट
Why are young boys part of protest in Jammu and Kashmir, asks Supreme Court
Why are young boys part of protest in Jammu and Kashmir, asks  Supreme Court
Why are young boys part of protest in Jammu and Kashmir, asks Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को पूछा कि जम्मू एवं कश्मीर में विरोध-प्रदर्शनों में 13-20 साल के युवा क्यों हिस्सा ले रहे हैं और उसने हालात के समाधान के लिए श्रीनगर बार काउंसिल के सदस्यों से मदद मांगी।

सर्वोच्च न्यायाल के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति किशन कौल ने पूछा कि भीड़ में बच्चे क्या कर रहे हैं, प्रदर्शनकारी भीड़ में उन्हें आगे क्यों रखा जाता है और उन भीड़ में 40-50 वर्ष का एक भी व्यक्ति क्यों नहीं है?

सर्वोच्च न्यायालय का यह सवाल जम्मू एवं कश्मीर बार एसोसिएशन के श्रीनगर चैप्टर के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम द्वारा पीठ को उस जानकारी से अवगत कराने के बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुरक्षाबलों द्वारा इस्तेमाल किए गए पैलेट गन से भारी तादाद में बच्चे दृष्टिबाधित हो गए हैं।

कयूम ने जैसे ही पीठ से कहा कि समय ऐसा आएगा, जब पूरी एक पीढ़ी दृष्टिबाधितों की होगी, तो पीठ ने उनसे पूछा कि इस हालात से निपटने का सबसे सही तरीका सुझाइए और इस संबंध में न्यायालय की मदद कीजिए।

न्यायाधीश केहर ने कहा कि मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है और बार के सदस्यों द्वारा सुझाए तरीके मुद्दे से निपटने में मदद कर सकते हैं।

मुद्दे के अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रेल की तारीख मुकर्रर करते हुए पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत चिंताओं को व्यापक तथा महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ नहीं मिलाया जा सकता, क्योंकि कयूम ने भारी तादाद में युवाओं के दृष्टिबाधित होने का मुद्दा उठाने का प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है, जिसे सुलझाना है। आप लोगों की हत्या नहीं कर सकते, उन्हें अपाहिज नहीं बना सकते।

न्यायालय की यह टिप्पणी जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन की उस याचिका की सुनवाई के बाद आई है, जिसमें सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है।