Home Headlines सुसाइड के लिए विवश करने वाली पत्नी और प्रेमी को 5 साल की कैद

सुसाइड के लिए विवश करने वाली पत्नी और प्रेमी को 5 साल की कैद

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सुसाइड के लिए विवश करने वाली पत्नी और प्रेमी को 5 साल की कैद
wife and lover gets 5 years imprisonment in mandi
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मण्डी। प्रेमी के साथ अवैध संबंध बनाकर पति को आत्महत्या के लिए विवश करने की आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी को अदालत ने 5 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना राशि न भरने की सूरत में आरोपियों को एक साल की अतिरिक्त कारावास भुगतनी होगी।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (एक) पुने राम पहाडिया के न्यायलय ने सुंदरनगर तहसील के धनोटू (महादेव) निवासी राम कृष्ण उर्फ माघू पुत्र मोहन लाल तथा धनेश्वरी (भोजपुर) निवासी सविता देवी उर्फ सरस्वती देवी पत्नी गगनेश कुमार के खिलाफ भादंस की धारा 306 के तहत आत्महत्या को विवश करने का अभियोग साबित होने पर उक्त सजा का फैसला सुनाया है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 26 अक्तूबर 2009 को शिकायतकर्ता नील कमल शर्मा ने पुलिस में रपट लिखवाई थी कि उसका बडा भाई गगनेश कुमार स्टेट कोऔपरेटिव बैंक में बतौर चपरासी तैनात है और वह इन दिनों धनोटू में रहता है।

नीलकमल को 21 अक्तूबर को बैंक से फोन पर बताया गया कि गगनेश काम पर नहीं पहुंचा है और बैंक की चाबियां उसके पास होने के कारण भारी दिक्कतें आ रही हैं। गगनेश को सभी जगह खोजने के बाद जब कुछ पता नहीं चला तो सुंदरनगर थाना में रपट दर्ज की गई थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार सविता के राम कृष्ण के साथ अवैध संबंध थे और उन्हें एक बार चमुखा स्थित एक होटल में रंगे हाथ पकड कर उनकी धुनाई भी की गई थी। शिकायतकर्ता को शक था कि उसके भाई को आरोपियों ने अगवा कर लिया है।

रपट पर कार्यवाही करते हुए सुंदरनगर पुलिस ने आरोपियों को भुंतर से गिरफतार किया था। आरोपियों से पुलिस पूछताछ के दौरान उनके आपत्तिजनक फोटो और एक सीडी बरामद हुई थी। इस सीडी में आरोपी गगनेश को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। गगनेश का शव सुंदरनगर की झील से बरामद हुआ था।

अभियोजन का कहना था कि आरोपियों के अवैध संबंधों के कारण गगनेश ने तनाव के कारण आत्महत्या की थी। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते लोक अभियोजक नवीन चंद्र ने 22 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपियों के खिलाफ अभियोग साबित किया।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए विवश करने का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।