Home Delhi संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की संभावना

संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की संभावना

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संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की संभावना
winter session of Parliament to begin on stormy note
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winter session of Parliament to begin on stormy note

नई दिल्ली। इस साल शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। विपक्षी पार्टियां सरकार को राफेल, अर्थव्यवस्था पर जीएसटी व नोटबंदी के बुरे प्रभाव, किसानों की दुर्दशा व धार्मिक असिहष्णुता पर घेरने की तैयारी में हैं। गुजरात चुनाव की वजह से देरी से शुरू हो रहे सत्र पर गुजरात व हिमाचल प्रदेश के नतीजे का भी असर होगा।

अगर भाजपा गुजरात व हिमाचल प्रदेश में जीत दर्ज करती है तो कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव के दौरान उठाए गए मुद्दों पर भाजपा को घेरना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन अगर कांग्रेस हिमाचल में हारने के बाद भी गुजरात में जीत दर्ज करती है तो, विपक्षी पार्टी ऐसे मुद्दे उठा सकती है, जो राजनीतिक तापमान बढ़ाएंगे।

एक माह तक चलने वाला शीतकालीन सत्र प्राय: नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होता है और क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाता है। इस वर्ष शीत सत्र 15 दिसंबर से पांच जनवरी तक चलेगा। क्रिसमस की वजह से 25 व 26 दिसंबर को छुट्टी रहेगी।

कांग्रेस की अगुवाई में 17 अन्य विपक्षी पार्टियां एक साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार को घेरने की कोशिश करेंगी।

तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने कहा कि इस बार जीएसटी व नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव, धार्मिक असहिष्णुता, राजस्थान में पश्चिम बंगाल के मजदूर का मारा जाना जैसे बड़े मुद्दे संसद में उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां इस मुद्दों पर सामंजस्य बिठाएंगी।

विपक्षी पार्टियों माकपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और द्रमुक समेत अन्य पार्टियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे संसद में सरकार को घेरने के लिए साथ में सामंजस्य बिठा कर सरकार पर हमला करेंगे।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि संसद में जीएसटी, नोटबंदी, राफेल मुद्दा, आधार को पैन व अन्य दस्तावेजों से जोड़ने का मुद्दा उठाया जाएगा।

सरकार ने सत्र में एजेंडा पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन गुरुवार शाम रात्रिभोज पर सभी नेताओं से मुलाकात करेंगी। थिंक टैंक पीआरएस विधायिका रिसर्च की ओर से जारी सूची के अनुसार इस सत्र के दौरान कम से कम 14 नए विधेयक पेश किए जाएंगे।