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चीनी सेना कम करेगी तीन लाख सैनिक

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चीनी सेना कम करेगी तीन लाख सैनिक

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बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के खिलाफ हासिल की गई जीत की 70वीं वषर्गांठ के अवसर पर गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि देश की 23 लाख सैनिकों वाली दुनिया की सबसे बड़ी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) में से तीन लाख सैनिक कम किए जाएंगे। इस दौरान चीन ने इस परेड में जल,थल और वायु सेना की सैन्य ताकत का प्रदर्शन भी किया।
जिनपिंग ने कहा कि चीन कभी भी वर्चस्व और विस्तार की कामना नहीं करेगा और हमेशा शांतिपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। उन्होंने कहा कि चीनी लोग शांतिप्रिय है। चीन कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो जाए, पर कभी वर्चस्व और विस्तार की कामना नहीं करेगा।’
शी ने कहा कि चीन अपनी सेना में 3,00,000 सैनिकों की कटौती कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन की सेना जनता की सेना है। सेना के सभी अधिकारियों, महिला और पुरुषों को यह जिम्मेदारी अपने दिल-दिमाग में बैठा लेनी होगी कि उन्हें पूरे दिल से जनता की सेवा करनी है।
शी ने कहा कि चीन के लोग दूसरे देशों के साथ मित्रवत संबंध रखना चाहते हैं और मानवता की भलाई में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी राष्ट्रों को एक नए प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय संबंध कायम करना चाहिए, जिसमें सभी पक्षों के हित और भलाई के लिए सहयोग शामिल हो।
शी ने कहा कि सभी राष्ट्रों को साझा रूप से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों पर टिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और प्रणाली को कायम रखने का प्रयास करना चाहिए।
गौरतलब है कि 145 अरब डॉलर के वार्षिक रक्षा बजट के साथ संचालित होने वाली पीएलए का आकार छोटा करने के प्रयास दरअसल इसलिए किए जा रहे हैं, क्योंकि वह बल को नए हथियारों और तकनीक के जरिए अभूतपूर्व ढंग से आधुनिक बना रहे है। पीएलए का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आता है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का संख्याबल वर्ष 1980 में 45 लाख था। वर्ष 1985 में इसके संख्याबल में पहली बार परिवर्तन करते हुए इसे 30 लाख कर दिया गया था और इसके बाद इसे 23 लाख कर दिया गया। तीन लाख सैनिकों की कटौती का यह कदम शी द्वारा चलाए जा रहे व्यापक भ्रष्टाचार रोधी अभियान की पृष्ठभूमि में उठाया जा रहा है।

शी देश के राष्ट्रपति होने के साथ-साथ सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अध्यक्ष और सेना के प्रमुख भी हैं। सेना के लगभग 40 उच्च अधिकारी सेना के अभूतपूर्व पुनर्निर्माण में भ्रष्टाचार रोधी जांच का सामना कर रहे हैं। इन अधिकारियों में केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के दो पूर्व उपाध्यक्ष शामिल हैं। वर्ष 2013 में प्रभार संभालने के बाद शी ने प्रायोगिक प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर दिया है, जिसमें युद्ध जैसी असली परिस्थितियों में अभ्यास शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सेना ने आधुनिक हथियार हासिल कर लिए हैं, जिनमें लंबी दूरी की मिसाइलें, आधुनिक विमान, विमान वाहक और जमीनी स्तर के हथियार शामिल हैं। शी सेना को युद्ध जीतने के लिए तैयार देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि सेना का यह पुनर्निर्माण एक ऐसे समय पर भी हो रहा है, जब चीन दक्षिणी चीनी सागर में समुद्री विवादों को लेकर कई पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापक गतिरोध में फंसा हुआ है। इन देशों को अमेरिका का समर्थन है। इसके अलावा पूर्वी चीनी सागर में जापान के साथ भी इसका गतिरोध है। जमीनी स्तर पर चीन का भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद है। हालांकि 12 अन्य देशों के साथ यह अपने सीमा विवाद सुलझा चुका है।
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ जीत के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर चीन ने लंबी दूरी की मिसाइलों और नए मालवाहक विमान समेत अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करते हुए यहां थ्यानमेन स्क्वैयर में एक विशाल सैन्य परेड आयोजित की। चीन की इस पहली सैन्य परेड में भाग लेने वाले 1000 विदेशी बलों में पाकिस्तान और रूस समेत 17 देशों के सैन्य बल शामिल थे। इस परेड का लक्ष्य द्वितीय विश्वयुद्ध में चीन के खिलाफ जापानी सैनिकों की ज्यादतियों को रेखांकित करना था। चीन के इतिहासकारों के अनुसार, इस युद्ध में दो करोड़ लोग मारे गए थे, 80 लाख लोगों को मजदूर बनने के लिए मजबूर किया गया था। साथ ही हजारों महिलाओं को बंधक बनाकर उनका यौन उत्पीडऩ किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत विश्व के 30 नेताओं ने परेड देखी। इसके अलावा भारत के विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह समेत विभिन्न सरकारों के विशेष दूतों ने भी यह परेड देखी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने परेड से पहले विदेशी नेताओं की अगवानी की। सिंह ने चीन आए गणमान्य अतिथियों के लिए शी द्वारा कल रात आयोजित स्वागत समारोह में भाग लिया। वह चीन के विदेश मंत्री वांग यि से भी मुलाकात करेंगे।
इस रंगारंग परेड में करीब 12,000 सैन्यकर्मियों और 1000 विदेशी बलों ने हिस्सा लिया।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन और चेयरमैन ज्वांइट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) जनरल रशद महमूद ने देश का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा पाकिस्तान ने परेड में भाग लेने के लिए 75 सदस्यीय सैन्य दल भी भेजा। कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच आयोजित इस परेड को चीनी अधिकारियों, नागरिकों और विदेशी मेहमानों समेत 40,000 से अधिक दर्शकों ने देखा। पिछले कुछ दिनों से बीजिंग में अधिकांश प्रतिष्ठान बंद हैं। शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को दो घंटों के लिए बंद किया गया था।
सेना के अनुसार, चीन ने देश में विकसित लंबी एवं मध्यम दूरी की मिसाइलों, वाहन और टैंकों समेत अपने 84 प्रतिशत नए हथियारों का प्रदर्शन किया। परेड में मुख्य रूप से चीन के 500 से अधिक नवीनतम हथियारों और करीब 20 विभिन्न मॉडलों के करीब 200 विमानों का प्रदर्शन किया गया।
बेलारूस, क्यूबा, मिस्र, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, मेक्सिको, मंगोलिया, पाकिस्तान, सर्बिया, ताजिकिस्तान और रूस समेत 17 देशों के करीब 1000 विदेशी सैन्य बलों ने इस परेड में हिस्सा लिया। 2400 सदस्यीय सैन्य बैंड और गायक दल ने ‘सेफगार्ड द येलो रिवर’ समेत युद्ध के दौरान गाए जाने वाले बेहतरीन गीतों को प्रस्तुत किया।
हिन्दुस्थान समाचार/दि/दीपक/नीरज/संजय