Home Lifestyle आपकी बॉडी लैंग्वेज बनती है आपकी पहचान

आपकी बॉडी लैंग्वेज बनती है आपकी पहचान

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आपकी बॉडी लैंग्वेज बनती है आपकी पहचान
Your Body Language Becomes Your Identity
Your Body Language Becomes Your Identity

Your Body Language Becomes Your Identity

संसार भर में देखा जाए तो जितने देश, उतनी भाषाएं हैं। केवल हमारे ही देश में हर प्रांत की भाषा अलग है। लेकिन शारीरिक मुद्राओं की भाषा यूनिवर्सल है। इसे आसानी से सभी समझ सकते हैं लेकिन कोई-कोई मुद्राएं जरूर भिन्न अर्थ रखती हैं जैसे हमारे यहां अंगूठा दिखाना चिढ़ाने के रूप में प्रयोग होता है लेकिन पाश्चात्य देशों में इसे ‘यस’ के रूप में स्वीकृति माना जाता है।

बॉडी लैंग्वेज हर व्यक्ति की शख्सियत की पहचान बन जाती है। कईयों की बात-बात में नाक भौं सिकोडऩे की आदत होती है कईयों का चेहरा बेहद शांत रहता है। कई बेहद शर्मीले होते हैं। जरा से इमोशन से उनका चेहरा रक्तिम हो जाता है।

यह बॉडी लैंग्वेज ही है जो आपका स्वभाव भी उजागर करती है। गुस्से में आवाज कठोर हो जाती है, ममता से भीगी आवाज अलग होगी, रोमांस में डूबी सैक्सी आवाज अलग। एक ही बात अगर आप अपने बच्चे से कहेंगे तो आपकी बॉडी लैंग्वेज अलग होगी, (टोन) बात करने का तरीका अलग होगा।

सच्चे व्यक्ति के चेहरे पर एक तेज होता है जो उसे निर्भीकता प्रदान करता है। झूठा व्यक्ति लाख कोशिश करे, उसके हाव-भाव कई बार उसका झूठ बता देते हैं।  फिल्मों व नाटक में डॉयलाग से ज्यादा महत्त्व रखती है बॉडी लैंग्वेज। एक जमाना था जब केवल मूक फिल्में बनती थीं तब लोग पूरी फिल्म की कहानी हाव भाव से ही समझ लेते थे। बड़े-बड़े एक्टर एक्ट्रेसेज, सब के अपने मैनरिज्म होते हैं। किसी के बाल झटकने की अदा, किसी के रूक रूक कर बोलने का अंदाज, देवआनंद स्टाइल, राजकपूर स्टाइल, राजेश खन्ना स्टाइल, मधुबाला की तिरछी आंखों से दी जाने वाली बंकिम मुस्कान, नर्गिस का नाक सिकोडऩा, मीना कुमारी की अति भावुकता, सब उनकी खास पहचान थे। नृत्य बॉडी लैंग्वेज का सबसे सशक्त प्रदर्शन है।

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आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं, उसका सामीप्य आपको खुशी देता है। आप उस के नज़दीक रहना चाहते हैं लेकिन वहीं जहां आप किसी से नफरत करते हैं तो उसके साथ नहीं बैठेंगे। खासकर संयुक्त परिवारों में यह नजारा बहुत देखने को मिलता है।

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सोच सकारात्मक होगी तो आप में दोस्ताना रवैय्या, आत्मविश्वास झलकेगा। नकारात्मक होने पर हाव-भाव भी बदले होंगे। एक गहरी ऊब, तनाव, उपेक्षा आपको लोगों में पापुलर नहीं बनाएगी तब आपको लोग सिर्फ झेलेंगे। व्यक्तित्व के विकास, उसकी संपूर्णता के लिए इनर पावर, भीतरी ऊर्जा और बाह्य हाव-भाव व बॉडी लैंग्वेज में गहरा संबंध जरूरी है। शब्दों से ज्यादा व्यक्ति के हावभाव उसकी पहचान बन जाते हैं।

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