तंवर नहीं, पायलट तय करेंगे कौन बनेगा अजमेर कांग्रेस अध्यक्ष?

अजमेर। एक तरफ अजमेर में कांग्रेस शहर और देहात के नए जिलाध्यक्ष की तलाश में केन्द्रीय पर्यवेक्षक बनकर दिल्ली से पधारे अशोक तंवर बीते कई दिन से अजमेर में डेरा डाले हुए हैं। वे फिलहाल कांग्रेसियों का मन टटोल रहे हैं। उन्हें लगता है कि इन्हीं के बीच से कोई अलादीन का जिन्न निकल आए और डूबती, हिचकोले खाती कांग्रेस की नैया किनारे लग जाए। वैसे गहलोत और पायलट के पिछल्लगुगों ने ये साबित कर दिया कि वे कांग्रेस से ज्यादा खेमे बाजी में ज्यादा भरोसा रखते हैं। कांग्रेसियों ने तंवर के सामने ही एक दूसरे के खिलाफ बांहे चढाकर दिखा दिया कि हम नहीं सुधरेंगे।

तंवर कोई करिश्मा करते इससे पहले सचिन पायलट का अजमेर आना कोई संयोग नहीं बल्कि बल्कि सोची समझी रणनीति है। पायलट के पैर अजमेर की धरा पर पडते ही उनके समर्थक फूल कर कुप्पा हो गए। या यूं कहें की पायलट अपने समर्थकों की हौसला अफजाई कर गए। शाम को सर्किट हाउस में ठहरना, फिर पहले से डैरा जमाए तंवर की डिनर पर चंद मिनटों की मुलाकात के अलग अलग कयास लगाए जा रहे हैं।

बुधवार सुबह पायलट ने अपने शार्गिदों से स्वागत कराने की रस्म अदायगी के दौरान पलक पांवडे बिछाए बैठे महेन्द्र सिंह रलावता को जयपुर रोड स्थित उनके कार्यालय, कॉन्वेंट स्कूल के पास स्वागत करने के लिए टकटकी लगाए इंतजार कर रहे हेमन्त भाटी को चंद मिनटों में निपटा दिया। दीगर बात यह रही कि पायलट ने आदर्श नगर में उनके स्वागत में आतिशबाजी करने और फूलों की बरसात करने वाली मंडली को देख कार रोकी और कार में महेश चौहान के कंधे पर हाथ रखा। बस यहीं से अजमेर की कांग्रेस में नया उबाल आ गया। ये महेश चौहान कौनसी बला है। नक्कार खाने में तूती की अवाज से ज्यादा औकात ना रखने वाले को पायलट ने इतनी तवज्जों क्यों दी?

बस इसी सवाल का उत्तर में कयास लगाए जाने लगे। राजनीतिक मायने में इसका अर्थ निकलता हैं कि पायलट ने डायलेक्ट अशोक गहलोत के गढ यानी माली समाज में बडी सेंध लगाने का पासा चल दिया है। चौहान छिपे रूस्तम माने जाते हैं। गहलोत के शासन काल में पत्नी सुनीता चौहान को मनोनीत पार्षद और बहू ममता चौहान को माटी कला बोर्ड की सदस्य बनवाकर उन्होंने बता दिया था कि माली समाज की ताकत क्या है। इतना ही नहीं एडीए अध्यक्ष पद पर दावेदारी करने में भी वे पीछे नहीं रहे।

इस बीच गहलोत गुट के मुख्य सिपहसालार धमेन्द्र राठौड के अंधेरी रात में शहर के कई मुत्रालयों में चस्पा पोस्टरों ने नया बवाल खडा कर दिया। राठौड भी जादूगिरी के गुर सीख चुके हैं। उन्होंने विरोधियों की इसी को करतूत की आड में कांग्रेस में अपने विरोधी खेमे और भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश सोनी की कलई खोलते हुए उन्हें लपेट लिया और खूब नजला उतारा।

बहरहाल अजमेर कांग्रेस की बारात चढ चुकी है लेकिन सेहरा बंधवाने के लिए लालायित दूल्हों की लम्बी फेहरिस्त ने पर्यवेक्षक तंवर की पेशानी पर बल ला दिए हैं। वैसे उन्हें कुल छह नामों का पैनल आलाकमान को सौंपना है, लेकिन पैनल है कि द्रोपदी के चीर की तरह थमने का नाम ही नहीं ले रहा।

वैसे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार शाम को ही अजमेर पहुंचे गए थे।अगले दिन बुधवार सुबह 8 बजे सर्किट हाउस से निकल कर वे 5 मिनट रलावता कार्यालय पर रुके। इसके बाद एलिवेटेड रोड होते हुए कॉन्वेंट स्कूल के पास पहुंचते ही हेमंत भाटी ने उनका स्वागत किया। महज 2 मिनट में उनकी कार आगे बढ गई।

आदर्श नगर पुलिया के पास माली समाज के लोगों के साथ खडे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेश चौहान व उनकी पत्नी महात्मा ज्योतिबा फुले सावित्रीबाई की अध्यक्ष सुनीता चौहान को देख पायलट ठहरे, पुष्प वर्षा के बीच उन्होंने 51 किलो फूलों की माला पहनी। आतिशबाजी और आकाश में छोड़े गए बैलून देख सचिन पायलट ने महेश चौहान के कंधे पर हाथ रख उन्हें शुभकामनाएं दी। अब बडा सवाल यह है कि क्या महेश चौहान अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन पाएंगे।