राजस्थान में भाजपा की सरकार आने पर 97 रुपए लीटर मिलेगा पेट्रोल : हरदीप पुरी

जयपुर। केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा अधिक टैक्स लगाने के बयान पर पलटवार करते हुए दावा किया है कि राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने पर लोगों को 97 रुपए प्रति लीटर औसत दर पर पेट्रोल मिला करेगा।

पुरी शनिवार को यहां भाजपा प्रदेश मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि गहलोत को अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए। आज देश भर में पेट्रोल की प्रति लीटर औसत दर 96 रूपए 72 पैसे है जबकि राजस्थान के श्रीगंगानगर में यह सबसे ज्यादा 113 रूपए 34 पैसे है।

उन्होंने कहा कि यदि पिछले दो साल की बात करें तो राजस्थान की सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 नवंबर तक 35975 करोड़ रूपए का टैक्स वसूल किया है जबकि अन्य 18 राज्यों से इस टैक्स की तुलना की जाए तो भी अकेले राजस्थान का टैक्स ज्यादा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली, उत्तराखंड, नगालैंड, लक्षदीप, मणिपुर, लद्दाख, दमन-दीव, जम्मू और कश्मीर सहित इन 18 राज्यों का टैक्स कलेक्शन 32597 करोड़ है।

उन्होंने कहा कि यदि नवंबर 2023 तक राजस्थान में पेट्रोल पर वैट रेट की बात करें तो 31.04 प्रतिशत और डीजल पर 19.03 प्रतिशत है। जिसके कारण आज जयपुर में पेट्रोल की रेट प्रति लीटर 108 रुपए 48 पैसे है वहीं गुजरात के गांधीनगर में 96 रूपए 63 पैसे प्रति लीटर और लखनऊ में 96 रूपए 53 पैसे प्रति लीटर के रेट है।

जयपुर में गांधीनगर के मुकाबले 11 रूपए 85 पैसे और लखनऊ से 11 रूपए 91 पैसे ज्यादा महंगा है। वहीं डीजल की बात करें तो जयपुर में डीजल की दर 93.72 रूपए प्रति लीटर है जबकि गुजरात के गांधीनगर में 88.03 प्रति लीटर है जो राजस्थान के मुकाबले यह पांच रूपए 78 पैसे सस्ता है।

पुरी ने कहा कि भारत में पिछले दो साल में नवंबर 2021 से लेकर नवंबर 2023 तक पेट्रोल के दाम 11.8 प्रतिशत कम हुए हैं। देश में पेट्रोल 2021 में 109 रुपए 70 पैसे और अब 96.72 है। वहीं पाकिस्तान में पेट्रोल के दाम 41 प्रतिशत बढ़ा, बांग्लादेश में 24 प्रतिशत से ज्यादा, श्रीलंका में 54 प्रतिशत और नेपाल में लगभग 30 प्रतिशत बढ़ा है। यही स्थिति डीजल की है, दो साल में भारत में डीजल के दाम 8.9 प्रतिशत कम हुए हैं जबकि पाकिस्तान में 53.06 प्रतिशत बढ़ा, बांग्लादेश में 118.03 प्रतिशत, श्रीलंका में 54.3 प्रतिशत और नेपाल में 41.2 प्रतिशत बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह यूरोप की बात की जाए तो यूके में पेट्रोल 7.04 प्रतिशत बढ़ा, यूएस में 21.02 प्रतिशत एवं इटली में 11.02 प्रतिशत बढ़ा है वहीं डीजल की रेट की तुलना यूरोप के देशों से की जाए तो भारत में डीजल की रेट 8.9 प्रतिशत कम हुए और यूके में 10 प्रतिशत दाम बढ़े, इटली में 20 प्रतिशत से ज्यादा रेट बढ़े, स्पेन में 20 प्रतिशत रेट बढ़ी और फ्रांस में 24 प्रतिशत दाम बढ़े। भारत मे ये दाम इसलिए कम हुए कि नवंबर 2021 और मई 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक्साईज ड्यूटी कम की गई और इस कारण भारत में पेट्रोल पर 13 रूपए और डीजल पर 16 रूपए कम हुए।

पुरी ने कहा कि यदि पेट्रोल-डीजल पर सेल्स टैक्स की बात की जाए तो कांग्रेस शासित चार राज्यों हिमाचल, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 86 करोड़ 622 लाख सेल्स टैक्स वसूला गया। यदि देश के 18 राज्यों से इस टैक्स की तुलना की जाए तो यह 16 प्रतिशत ज्यादा है वहीं एलपीजी गैस की बात करें तो कांग्रेस के लोग कहते हैं कि राजस्थान में उज्जवला योजना में 500 रूपये का सिलेंडर है, जब यह सिलेंडर 1100 रुपए में बिकता था तब केंद्र सरकार ने 200 रूपये की सब्सिडी दी। अगस्त में एडिशनल 300 रूपए की सब्सिडी दी गई। इसमें राजस्थान सरकार की ओर से महज 100 रूपए का सहयोग किया गया और 600 रूपए केंद्र सरकार दे रही है और कांग्रेस शासित राज्य 16 प्रतिशत ज्यादा टैक्स वसूल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी के साथ आगे बढ़ रही है, हम आज विश्वभर में पांचवे स्थान पर हैं और कुछ ही समय में पांचवें से तीसरे नंबर पर होंगे। हमारे यहां कच्चा तेल और एनर्जी की डिमांड बढ़ रही है। हमारे यहां यह डिमांड दुनिया के मुकाबले औसत से तीन गुना ज्यादा है, इसलिए हमें 80-85 प्रतिशत कच्चा तेल चाहिए होता है जिसे हम इंपोर्ट करते हैं। उसके बाद रिफाईनरी से रिफाइन करके पैट्रोल-डीजल एवं गैस में बांटा जाता है। कच्चे तेल के दाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तय होते हैं। वहीं कीमत पर इंश्योन्स और फ्रेक लगता है प्रोडक्शन के बाद भारत लाने में उसके ऊपर रिफाईनरी का मार्जन कटता है।

इसके बाद केंद्र सरकार एक्साईज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में देश में 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे और अब यह बढ़कर 32 से 33 करोड़ हो गए। इसमें केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत 9 करोड़ 60 लाख कनेक्शन दिए हैं। कांग्रेस के समय ऑयल बॉंड के नाम पर जो उधार ली गई उसे आज तक चुकाना पड़ रहा है जिसका केंद्र सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।