राजस्थान सरकार ने तीन अहम नीतियों के अनुमोदन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में मंत्रिमण्डल की बैठक
जयपुर। राजस्थान सरकार ने ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश- 2025 लाने, प्रवासी राजस्थानियों के योगदान और जुड़ाव को बढ़ाने के लिए प्रवासी राजस्थानी नीति-2025, छोटे व्यापारियों को अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान ट्रेड प्रमोशन पॉलिसी और पर्यटन में निवेश को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान पर्यटन नीति के अनुमोदन सहित कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को यहां मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में ये निर्णय किए गए। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने इन निर्णयों की जानकारी देते हुए पत्रकारों को बताया कि विभिन्न अधिनियमों में मामूली उल्लंघन या तकनीकी गलती के लिए कारावास जैसे आपराधिक दण्ड हटाकर उनके स्थान पर पेनल्टी के प्रावधान करने का निर्णय किया है। इससे ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलने के साथ ही वादकरण में भी कमी आएगी।

पटेल ने कहा कि इसके लिए केन्द्र सरकार के जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम-2023 की तर्ज पर राज्य में भी राजस्थान जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश- 2025 के प्रारूप को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी प्रदान की गई।

उन्होंने बताया कि इस अध्यादेश के द्वारा 11 अधिनियमों में से आपराधिक प्रावधान हटाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान वन अधिनियम-1953 में धारा 26 (1) (ए) में वन भूमि में मवेशी चराने पर कारावास का प्रावधान था। अब तक इस पर छह महीने तक कारावास या 500 रुपए तक जुर्माने अथवा दोनों दण्ड का प्रावधान था। संशोधन के बाद अब इस उल्लंघन पर जुर्माना ही लगाया जाएगा।

वन को हुए नुकसान के लिए वन अधिकारी द्वारा नियमानुसार निर्धारित क्षतिपूर्ति भी देनी होगी। इस संशोधन से उन आदिवासियों एवं ग्रामीणों को लाभ होगा जो अनजाने में मवेशी चराते हुए वन भूमि में प्रवेश कर जाते हैं।

पटेल ने बताया कि राजस्थान राज्य सहायता (उद्योग) अधिनियम-1961 में सहायता प्राप्त करने वाले उद्योग के प्रभारी पर मामूली प्रक्रियात्मक अपराधों, जैसे कि बहीखाते, खाते या अन्य दस्तावेज निरीक्षण के लिए प्रस्तुत न करने पर कारावास का प्रावधान था। इन आपराधिक प्रावधानों को अब अधिनियम से हटा कर अर्थदण्ड तक सीमित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि जयपुर वाटर सप्लाय एण्ड सीवरेज बोर्ड अधिनियम-2018 में जल की बर्बादी, दुरुपयोग, गैर-घरेलू कार्यों के लिए उपयोग, बोर्ड की सीवरेज लाइन में रुकावट डालने, बिना लिखित अनुमित सीवरलाइन से कनेक्शन जोड़ने आदि पर कारावास का प्रावधान था, जिसे हटाते हुए अर्थदण्ड के प्रावधान तक सीमित किया जा रहा है।

गोदारा ने बताया कि बदलते समय के अनुरूप प्रवासी राजस्थानियों के राज्य के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करने के उद्देश्य से अनुमोदित नॉन-रेजिडेंट राजस्थानी पॉलिसी ऑफ राजस्थान-2025 निवेश, व्यापार, ज्ञान के आदान-प्रदान, शोध और सामाजिक सरोकारों में एनआरआर के योगदान को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगी।

एनआरआर नीति प्रवासी राजस्थानियों के निवेश को गति देने के लिए राज्य में एक बेहतर इकोसिस्टम का निर्माण करेगी। निवेश से संबंधित सभी प्रक्रियाओं के समन्वय के लिए एनआरआर इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन सेल स्थापित की जाएगी, जिसमें इन्वेस्टमेंट लायजन ऑफिसर्स निवेश प्रस्तावों की निगरानी, प्रवासी मिलन कार्यक्रमों का आयोजन और विभागीय समन्वय सुनिश्चित करेंगे।

उन्होंने बताया कि राजस्थान फाउंडेशन चैप्टर्स में इन्वेस्टमेंट कॉर्डिनेटर्स नियुक्त किए जाएंगे, जो निवेश लीड्स की पहचान और राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं की जानकारी साझा करेंगे। प्रवासी विशेषज्ञों और व्यवसायिक नेताओं के सहयोग से एनआरआर इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी काउन्सिल्स गठित होंगी, जो नीतिगत सुझाव और सेक्टरवार निवेश रोडमैप तैयार करेंगी।

प्रवासी समुदाय के योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रवासी राजस्थानी दिवस तथा प्रवासी राजस्थानी सम्मान अवार्ड्स का भव्य रूप में आयोजन किया जाएगा। डायस्पोरा डाटाबेस तैयार कर प्रवासियों के स्थान, कौशल, व्यवसाय और निवेश क्षमता जैसी जानकारी संकलित की जाएगी। नीति के अंतर्गत प्रवासियों के लिए ग्लोबल यूथ कनेक्ट, सेलिब्रेट राजस्थान, डायस्पोरा फॉर डवलपमेंट जैसे नवाचार किए जाएंगे। प्रवासी राजस्थानियों की परेशानियों के निराकरण के लिए एक व्यवस्थित शिकायत निवारण और समन्वय तंत्र स्थापित किया जाएगा।

गोदारा ने बताया कि बड़े ट्रेड, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म व लॉजिस्टिक नेटवर्क जैसे समान अवसर छोटे व्यापारियों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान ट्रेड प्रमोशन पॉलिसी-2025 को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई। इससे राज्य का खुदरा और थोक व्यापार सशक्त होगा। यह नीति राज्य में 10.5 लाख से अधिक रिटेल स्टोर्स और तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार को ध्यान में रखते हुए व्यापार क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजन करने, छोटे ट्रेडर्स को बाजार एवं ऋण तक आसान पहुंच उपलब्ध कराने तथा खुदरा एवं थोक व्यापार में एमएसएमई उद्यमों के विकास के लिए कार्य करेगी।

उन्होंने बताया कि नीति में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसके तहत राजस्थान दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1958 के प्रावधानों में आवश्यकतानुसार शिथिलता लाने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा, ताकि व्यापारिक इकाइयों के संचालन को सरल और व्यवसाय-अनुकूल बनाया जा सके।

उन्होंने बताया कि मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदित राजस्थान पर्यटन नीति-2025 में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहन, पर्यटन अवसंरचना के विकास, प्रमुख पर्यटन स्थलों की कनेक्टिविटी सुधार, स्वच्छता एवं सुरक्षा, डिजिटल सुविधाओं का विस्तार, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग को मजबूत करने, कौशल विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यटन इकाइयों के लिए अनुकूल परिवेश तैयार करने पर बल दिया गया है।

उन्होंने बताया कि नीति में धार्मिक पर्यटन मार्गों का विकास, वन एवं धार्मिक क्षेत्रों के आस-पास पर्यटन हब की स्थापना, शौर्य सर्किट, बर्ड-वॉचिंग सर्किट, प्रोजेक्शन मैपिंग एवं लाइट-साउंड शो, प्रीपेड टैक्सी बूथ, ई-व्हीकल टूर, राजस्थान ट्रेवल कार्ड, होम-स्टे एवं पेइंग गेस्ट सुविधाओं को बढ़ावा देने जैसे व्यापक प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि नीति में चयनित जिलों में विशेष पर्यटन क्षेत्र (एसटीजेड) का विकास, पर्यटन परियोजनाओं की अनुमति हेतु सिंगल वेब पोर्टल, पीपीपी के तहत पर्यटन प्रोजेक्ट्स का विकास, स्किलिंग सेंटर्स की स्थापना, पर्यटन छात्रों हेतु स्कॉलरशिप, सांस्कृतिक विरासत एवं स्थानीय क्राफ्ट को बढ़ावा देने हेतु क्राफ्ट म्यूजियम, नए पर्यटन पोर्टल, मोबाइल एप एवं डिजिटल संग्रहालयों का विकास, एयर कनेक्टिविटी हेतु वायबिलिटी गैप फंडिंग, प्रमुख मेलों एवं उत्सवों का वृहद स्तर पर आयोजन, एस्ट्रो-टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, कलनरी टूरिज्म, बड़े मनोरंजन प्रोजेक्ट्स तथा वैलनेस टूरिज्म के उन्नयन जैसे महत्वपूर्ण उपाय शामिल हैं। पर्यटन सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए कॉल सेंटर, टूरिस्ट असिस्टेंस फोर्स, पैनिक बटन आधारित सुरक्षा प्रणाली, सीसीटीवी और फीडबैक सिस्टम भी नीति में शामिल किए गए हैं।

पटेल ने बताया कि किशनगढ़ हवाई अड्डे के लिए अतिरिक्त 15 एकड़ भूमि निःशुल्क उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई। इससे बड़े विमानों के सिंगल साइड ऑपरेशन के लिए 900 मीटर लंबी एप्रोच लाइट्स (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) की स्थापना हो सकेगी। इससे किशनगढ़ एयरपोर्ट पर कोहरे तथा रात्रि के समय भी वायुयानों का सुरक्षित एवं निर्बाध संचालन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे न केवल उड़ानों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यटन, औद्योगिक विकास और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

उन्होंने बताया कि मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रित को वर्तमान नियमों में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए सरकारी कार्मिक की मृत्यु के दिनांक से 90 दिन की समय सीमा में आवेदन करना होता है। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने की समय सीमा को 90 दिवस से बढ़ा कर 180 दिवस करने का निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा किया गया। इसके लिए राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति के नियम, 1996 में संशोधन किया जाएगा।

इस संशोधन से मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए विभिन्न दस्तावेज, शपथ पत्र तैयार करने में पर्याप्त समय मिल सकेगा।
उन्होंने बताया कि अब आरक्षित सूची से प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के नामों की अनुशंसा 6 माह के स्थान पर एक वर्ष के भीतर की जा सकेगी। इसके लिए विविध सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई। इस संशोधन से एक ही भर्ती में अधिक संख्या में अभ्यर्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।

पटेल ने बताया कि राजस्थान परिवहन अधीनस्थ सेवा नियम, 1963 में मोटर वाहन उप निरीक्षक पद की सीधी भर्ती हेतु न्यूनतम योग्यता में संशोधन किया जा रहा है। अब तक मोटर वाहन उप निरीक्षक पद की सीधी भर्ती के लिए सैकेंडरी परीक्षा उत्तीर्ण के साथ ऑटोमोबाइल अथवा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा धारक या समकक्ष योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी ही पात्र थे।

संशोधन के बाद अब उच्चतर योग्यता वाले अभ्यर्थी भी इस पद हेतु आवेदन करने के पात्र होंगे। साथ ही, ऑटोमोबाइल वर्कशॉप के एक वर्षीय अनुभव की अनिवार्यता एवं परिवहन यान श्रेणी के लाईसेन्स धारक होने की अनिवार्यता समाप्त की गई है, जिससे अधिकाधिक अभ्यर्थियों को अध्ययन पूरा करने के तत्काल बाद ही आवेदन करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि राजस्थान मूल्यांकन सेवा नियम, 1979 में विभागीय पदोन्नति समिति के गठन संबंधी प्रावधान को जोड़ा जा रहा है। इससे इस विभाग की वर्ष 2024-25 से लम्बित विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित की जा सकेगी।

उन्होंने बताया कि मृत अथवा स्थायी रूप से अशक्त सशस्त्र बल सेवा कार्मिकों और पैरा मिलिट्री कार्मिकों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति दिये जाने संबंधी सात दिसम्बर 2022 की अधिसूचना, आठ अगस्त 2022 को जारी उत्तराखण्ड त्रासदी-2013 में मृत या लापता होने के पश्चात मृत घोषित किए गए व्यक्तियों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति की अधिसूचना और कोविड-19 संक्रमण के कारण अनाथ हुए व्यक्तियों को अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए गत वर्ष छह फरवरी को जारी अधिसूचना को विविध सेवा नियमों में शामिल किया गया है। इन अधिसूचनाओं के प्रावधानों को अब राजस्थान अनुसूचित क्षेत्र अधीनस्थ, लिपिकवर्गीय और चतुर्थ श्रेणी सेवा (भर्ती एवं सेवा की अन्य शर्तें) नियम 2014 में शामिल किया गया है।