राजस्थान सरकार विशेष योग्यजनों को आगे बढ़ाने में करेगी पूरा सहयोग : भजनलाल शर्मा

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य सरकार को दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए संकल्पित बताते हुए कहा है कि वह उन्हें आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग करेगी।

शर्मा बुधवार को हरीश चन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान (ओटीएस) में अन्तरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर राज्य स्तरीय विशेष योग्यजन सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज खेल जगत से लेकर शिक्षा, विज्ञान, संगीत, कला और तकनीक सहित हर क्षेत्र में दिव्यांगजनों ने अपनी प्रतिभा साबित की है। इन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध कराना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि अपने आस-पास रह रहे दिव्यांगों की प्रतिभा को पहचानते हुए इनका पूरा सहयोग करें जिससे इनकी विशेष योग्यता का लाभ समाज को मिल सके तथा एक समावेशी समाज का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि राजस्थान दिव्यांगजनों के लिए सबसे सुगम्य और संवेदनशील राज्य बने।

उन्होंने इस दौरान सम्मानित होने वाले विशेष योग्यजनों एवं संस्थानों को बधाई देते हुए कहा कि इससेे विशेष योग्यजनों को सशक्त बनाने के संकल्प को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1992 में हर वर्ष तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस मनाने की घोषणा की थी जिससे दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा, समान अवसर तथा समाज में समावेशी सोच का प्रसार हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष योग्यजन अपने भीतर विशेष योग्यता रखते हैं। ये अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, दृढ़संकल्प और मेहनत से हर सीमा को पार करने का साहस रखते हैं। इनमें वह हुनर और जज्बा होता है जो किसी सामान्य व्यक्ति में मुश्किल से मिलता है। उन्होंने कहा कि पैरालम्पिक में हमारे खिलाड़ियों ने देश और प्रदेश को जो सम्मान दिलाया है, वह उनकी ऊर्जा और क्षमता का प्रमाण है। इनकी सफलता की कहानियां हम सभी को प्रेरित करती हैं।

शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा देश में एक ऐसे समावेशी समाज की स्थापना करना है जिसमें किसी व्यक्ति की शारीरिक चुनौतियां उसकी राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए बाधा न बन सकें। उन्होंने अपनी इसी सोच के साथ सुगम्य भारत अभियान जैसी ऐतिहासिक पहल की है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा दिव्यांगजन अधिनियम के माध्यम से विकलांगता की परिभाषा को सात श्रेणियों से बढ़ाकर 21 श्रेणियों तक किया है। इसमें एसिड अटैक सरवाइवर को भी शामिल किया गया है। यह कानून दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने एवं सामाजिक धारणाओं को बदलने में मददगार साबित हो रहा है।

शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल दिव्यांगजनों को 15 हजार अंग उपकरण वितरित किए थे और इस वर्ष एक लाख अंग वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए राज्य में पहली बार इलेक्ट्रिक पावर्ड व्हील चेयर का वितरण किया जा रहा है। साथ ही, विशेष योग्यजनों के लिए संचालित आवासीय संस्थानों का इस वर्ष से मैस भत्ता दो हजार 500 से बढ़ाकर तीन हजार 250 रुपए प्रति आवासीय कर दिया गया है।

इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने दिव्यांगजनों का चिह्नीकरण एवं प्रमाणीकरण कराकर यूनिक डिसेबिलिटी पहचान पत्र जारी करने में राजस्थान देशभर में अग्रणी राज्यों में शामिल है।