राजस्थान में आपराधिक मामले में दो चिकित्सा अधिकारियों की सेवा समाप्त

जयपुर। राजस्थान में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में सख्त कदम उठाते हुए आयुर्वेद एवं पशुपालन विभाग के दो चिकित्सा अधिकारियों की आपराधिक प्रकरणों में दोष सिद्ध होने पर सेवा समाप्त कर दी गई जबकि चार सेवानिवृत्त चिकित्सक एवं एक कार्मिक की पेंशन रोक दी गई।

आधिकािरिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार आयुर्वेद एवं पशुपालन विभाग के दो चिकित्सा अधिकारियों को आपराधिक प्रकरणों में दोष सिद्ध होने के बाद सेवा से पदच्युत कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, राजस्थान (सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 के तहत सेवानिवृत्त राजकीय चिकित्सकों के विरुद्ध संचालित विभागीय जांच के तीन प्रकरणों में सख्त निर्णय लेते हुए 4 चिकित्सकों एवं एक कार्मिक के विरुद्ध पेंशन रोके जाने के दंड का अनुमोदन किया गया है।

नियम 16 सीसीए के ही दो अन्य प्रकरणों में लंबे समय से अनुपस्थित रहने एवं अराजकीय आचरण के आरोपों में दो अधिकारियों के विरुद्ध प्रमाणित आरोपों पर आधारित जांच निष्कर्षों को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए भेजने का निर्णय लिया गया वहीं नियम 17 सीसीए के एक प्रकरण में अपील स्वीकार करते हुए संबंधित अधिकारी को राहत प्रदान की गई।

इसके अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक अधिशाषी अभियंता को निलंबित करने का निर्णय लिया गया और सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार जालौर जिले के आहोर उपखंड में पदस्थापित अधिशाषी अभियंता शंकरलाल को विभागीय जांच विचाराधीन रखते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि जालौर जिले के आहोर में गोदन से बिशनगढ़ जाने वाली सड़क के निर्माण कार्य में गुणवत्ता न होने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस मामले में संबंधित ठेकेदार को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।