जयपुर। राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर पीठ ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी-यूजी ) अभ्यर्थी को बड़ी राहत देते हुए परामर्श बोर्ड द्वारा उसका प्रवेश रद्द करने का आदेश निरस्त कर दिया है।
न्यायालय ने अभ्यर्थी नरेन्द्र महला को आगामी तीसरे चरण की काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति देने और पूर्व में जमा राशि को शुल्क के रूप में समायोजित करने के बुधवार को निर्देश दिए।
नरेन्द्र और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश समीर जैन ने कहा कि परामर्श बोर्ड द्वारा याचिकाकर्ता की पांच लाख रुपए की सुरक्षा राशि जब्त करना अवैध है और यह अनुचित लाभ का उदाहरण है।
न्यायालय ने यह माना कि याचिकाकर्ता पिताविहीन होने और गरीब पृष्ठभूमि से है और 29 सितम्बर 2025 को परदादी के निधन और बीच में सरकारी अवकाश होने के कारण वह समय पर शेष शुल्क 13 लाख 90 हजार रुपए जमा नहीं कर सका। अदालत ने कहा कि इस परिस्थिति में कुछ घंटों की देरी को सदभानापूर्ण और न्यायोचित मानना ही उचित है।
न्यायमूर्ति जैन ने अधिकारियों के कठोर और अव्यवहारिक रवैये की आलोचना करते हुए टिप्पणी की, योग्यता और धन के संघर्ष में सच्चे अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित नहीं होना चाहिए।
न्यायालय ने इस प्रकरण को अनुचित लाभ का उत्कृष्ट उदाहरण करार देते हुए आदेश की प्रति राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल इस मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर पारित किया गया है और इसे भविष्य में नजीर के रूप में लागू नहीं किया जाएगा।