सबगुरु न्यूज- आबूरोड। पुरानी कहावत है अंधेर नगरी चौपट राजा। राजस्थान में बदलकर चौपट राज में अंधेर नगरी में बदल चुकी है। भजनलाल सरकार में प्रशासनिक अकर्मण्यता ने जिले के सबसे बड़े औद्योगिक शहर को बदहाल कर दिया है। मुख्यमंत्री के अलावा जिले से जीते मंत्री, सांसद और विधानसभा के विधायक के चौपट राज में निरंकुश डिस्कॉम ने इस शहर के एक पूरे हिस्से को कई दिनों से घंटों घंटों बिजली कटौती में झोंका हुआ है।
आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम में पड़ने वाले शहर के होटल और लघु उद्योगों के इलाकों में यहां के डिस्कॉम ने कई बार मेंटीनेंस के नाम पर घंटों बिजली कटौती की लेकिन सेवा के नाम पर नतीजा शून्य ही रहा। अज्ञानता की वजह से जानकारियों के अभाव के कारण सत्ताधारी भाजपा व कांग्रेस के जनप्रतिनिधियो खुद अपने वरिष्ठ नेताओं से बोलते रहे हैं कि उनको यहां कोई अधिकारी समुचित सम्मान और जवाब नहीं देता है और जनता के लिए हर संघर्ष करने के जुमले देने वाली प्रमुख विपक्ष कांग्रेस के नेता यहां एनेस्थीसिया सूंघकर पड़े हुए हैं। डिस्कॉम के अधिकारी आम आदमी तो आम आदमी कलेक्टर कंट्रोल रूम का भी फोन नहीं उठा रहे हैं।
– रात 11 बजे से अंधेरे में रहे सैंकड़ों मकान-प्रतिष्ठान
प्रदेश में मौसम अंगड़ाई ले रहा है। गर्मी में आंधी तूफान की स्थिति है। रविवार को तेज हवा चली। इसमें कुछ खंभे गिर गए। इस दिन भयंकर गर्मी में आबूरोड शहर के तरतौल, मानपुर, आकराभट्टा, तलहटी क्षेत्र तक के सैंकड़ों मकान 6 घंटे अंधेरे में डूबे रहे। बुधवार को बारिश हुई तो रात करीब 11 बजे लाइट गई इसके बाद सुबह सवा आठ बजे तक बहाल नहीं कर पाई। आबूरोड बस स्टैंड से लेकर तरतौली, मानपुर, आकरा भट्टा, तलहटी तक के सैंकड़ों मकान और प्रतिष्ठान पूरी रात अंधेरे में डूबे रहे। गुरुवार सुबह सवा आठ बजे तक डिस्कॉम वितरण बहाल नहीं कर पाई। नौतपा में आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम ने लोगों को बहाल किया हुआ है। आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम के अधिकारियों ने मेंटीनेंस के नाम पर की गई घंटों कटौती के नाम पर शहर के आधे इलाके को बदहाल विद्युत वितरण व्यवस्था दी है। इतनी बहाली बीपरजॉय जैसे तूफान में नहीं हुई थी, जैसी मामूली सी बारिश में हो गई।
बुधवार रात को शुरू हुई बारिश न तो बहुत मूसलाधार थी और न ही तेज तूफान के साथ आई थी लेकिन, आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम के अधिकारियों की पूर्व तैयारीयों के नाम पर घंटों घोषित कटौती करने की प्रक्रिया में किये गए कथित मेंटीनेंस की घंटों अघोषित कटौती ने पोल खोल दी। इस दिन बस स्टैंड से लेकर तलहटी तक के करीब 8 किलोमीटर के इलाके के हजारों मकान और होटलें अंधेरे डूबे रहे। आबूरोड डिस्कॉम ने शहर को इनवर्टर सीटी बना दिया है।
– टैक्स मेट्रो जैसा सुविधा गांवों जैसी
आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम के कार्यक्षेत्र में पड़ने वाले शहरी इलाके यूआईटी के अधीन आते हैं। यूआईटी यहां पर कृषि भूमि को आवासीय और होटल इंडस्ट्री में कन्वर्ट करने के आबूरोड नगर पालिका से दो गुना शुल्क वसूलती है। माउंट आबू के निकट होने से आबूरोड शहर में टूरिज्म उद्योग और माउंट आबू में निर्माण समस्या की वजह से सबसे ज्यादा आबादी विस्तार पिछले 10 सालों में इन्हीं इलाकों में हुआ है। यूआईटी को यहां रहने वालों ने सिरोही जिले के अन्य शहरों से ज्यादा टैक्स दिया है। इसके बावजूद आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम इन इलाकों को गांवों से बदतर सेवाएं दे रहा है।
– पहले डायवर्ट करके दे देते थे लाइट
सिरोही जिला मुख्यालय समेत जहां भी तकनीकी कुशल अधिकारी बैठे हैं उन्होंने अपने शहरों की डिस्ट्रिब्यूशन व्यवस्था इस तरह से विकेंद्रित कर दी है कि यदि लंबे फॉल्ट आ जाए तो फॉल्ट वाले इलाके को छोड़कर शेष इलाकों में विद्युत वितरण बहाल की जा सके। स्थानीय निवासियों के अनुसार पहले आबूरोड शहर के बाहरी इलाके में आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम में भी ये व्यवस्था की जाती थी।
लेकिन पिछले डेढ़ सालों में डिस्कॉम ग्रामीण ने व्यवस्था को चौपट किया हुआ है। प्रतिदिन अघोषित कटौती के अलावा हर सप्ताह लंबी कटौती में पर्यटन इकाइयों और लघु इकाइयों वाले इलाकों को इस विभाग ने अंधेरे में झोंक दिया गया है। जबकि इन इलाकों में चिकित्सालय और फायर ब्रिगेड के अलावा न्यायालय, यूआईटी जैसे कार्यालय भी आते हैं।
– ये स्थिति है कलेक्टर कंट्रोल रूम की
जिले में गवर्नेंस के फेल होने का इससे बुरी स्थिति शायद ही कभी मिली हो। पूरी रात लाइट गायब रही। डिस्कॉम के व्हाट्स, बेसिक और किसी भी नंबर से किसी तरह का कोई रिप्लाई नहीं था कि हुआ क्या? आबूरोड ग्रामीण डिस्कॉम पर एक आदमी नहीं था जो जवाब देवे। ताला लगा हुआ था यहां । एईएन, जेईएन फोन नहीं उठा रहे। इस पर कोढ़ में खाज जिला कलेक्टर कार्यालय। यहां के कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन किरने पर भी समुचित रिप्लाई नहीं मिला की आखिर हुआ क्या है।
गुरुवार सुबह 6 बजे कलेक्टर कंट्रोल रूम में बैठे कार्मिक का जवाब ये था कि डिस्कॉम के अधिकारी उनके भी फोन नहीं उठा रहे हैं। ये हाल है जिले में गवर्नेंस की। वो बीस मिनट में भी ये नहीं बता सके कि आखिर हुआ क्या और आगे क्या होगा। जिला कलेक्टर कार्यालय से लेकर नीचे तक इतना गैर जवाबदेही का आलम पिछले 20 सालों में यहां नहीं मिला होगा जितना अब मिल रहा है।