नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष में समाज के हर वर्ग से सम्पर्क करने के लिए विशेष अभियान चलाएगा और सामाजिक बुराइयों को दूर करने और धर्म-जागरण के लिए देश में एक लाख से अधिक जगह ‘हिंदू सम्मेलन’ आयोजित करेगा। इस अभियान के तहत संघ के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से सम्पर्क-संवाद करेंगे।
आरएसएस के प्रांत प्रचारकों के तीन दिवसीय सम्मेलन के संगठन के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को यहां केशव कुंज में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष में हिंदू समाज में धर्म जागरण और बुराइयों को दूर करने को लेकर देशभर में मंडल और गांव स्तार पर एक लाख से अधिक जगहों पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसी तरह खंड और नगर में 11,360 स्थानों पर सामाजिक सद्भाव बैठकें और 924 जिलों में प्रमुख नागरिक गोष्ठियां भी आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम आगामी दो अक्टूबर विजयदशमी से शुरू होंगे और एक साल तक चलेंगे। मुख्य कार्यक्रम नागपुर में आयोजित किया जाएगा। आंबेकर ने कहा कि वर्ष 2000 में भी संघ ने घर-घर जा कर संवाद करने का कार्यक्रम आयोजित किया था। उस समय हम करोड़ों घरों और दो लाख से ज्यादा गांवों में पहुंचे थे। इस बार भी गृह संपर्क में अधिकतम घरों, शहरों-बस्तियों में पहुंचा जाएगा।
शताब्दी वर्ष का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी स्थानों तक, लोगों और विचारों तक पहुंचने का लक्ष्य है। हर स्तर पर हर कोई इस प्रयास में लगा है कि देश आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि केवल आर्थिक प्रगति ही पर्याप्त नहीं होगी, जरूरी है कि देश अपने विशेष गुण, अपने मूल्यों के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हर व्यक्ति की जीवन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हो, साथ ही हर परिवार में जीवन मूल्यों की रक्षा और सद्भाव बना रहे। उन्होंने कहा कि समाज ऐसी सोच के साथ आगे बढ़ेगा तो सहभागी होगा तो आर्थिक प्रगति समावेशी होगी।
उन्होंने तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे कुछ प्रांतों में हाल में उठे भाषा विवाद को लेकर कहा कि देश की सारी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। हमें अपनी-अपनी भाषा में बात करनी चाहिए। वहीं धर्मांतर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि किसी को लालच देकर या किसी अन्य प्रकार का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गलत है।
आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कुछ विपक्षी नेताओं के बयान के बारे में पूछे गए सवाल के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संघ पर पाबंदी पहले भी लगाई जा चुकी है, लेकिन प्रतिबंध लगाने वालों को कानूनी बाध्यता और जनता के दबाव में प्रतिबंध को वापस लेने पड़े थे।