इस वर्ल्ड बाइसिकल डे पर सोनी सब के कलाकार बता रहे हैं कि साइक्लिंग किस तरह उन्हें तरोताजा और चिंतनशील बनाती है

मुंबई, सोनी सब के ऊर्जावान कलाकार शब्बीर आहलूवालिया, नवीन पंडिता, शीहान कापाही और देशना दुग्गड़ इस वर्ल्ड बाइसिकल डे पर फिटनेस, मस्ती और आज़ादी की ओर पैडल मार रहे हैं! इन कलाकारों के लिए साइक्लिंग सिर्फ एक आवागमन का साधन नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवनशैली विकल्प है जो उनके शरीर को ऊर्जा देता है, मन को तरोताजा रखता है और व्यस्त दिनचर्या में आनंद का एहसास कराता है। चाहे शब्बीर हों जो सेट तक साइकिल से जाते हैं, नवीन जो शांत सड़कों पर संतुलन पाते हैं, देशना जो स्क्रीन टाइम से ब्रेक लेकर खुद के लिए समय निकालती हैं, या शीहान जिनकी भावुक यादें जुड़ी है—हर कलाकार बता रहा है कि साइक्लिंग कैसे उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। आइए जानें, कैसे ये कलाकार हर राइड को खास बना रहे हैं!

उफ़्फ़… ये लव है मुश्किल, में युग का किरदार निभा रहे शब्बीर आहलूवालिया कहते हैं, साइक्लिंग मेरे लिए गेम-चेंजर रही है। मैं हफ्ते में कम से कम दो बार सेट तक साइकिल से जाता हूं। एक तरफ का सफर 20–25 किलोमीटर का होता है, यानी दिन में लगभग 40–45 किलोमीटर। यह न केवल बेहतरीन वर्कआउट है, बल्कि मेरा मन भी शांत करता है, ऊर्जा बनाए रखता है और पूरे दिन के लिए सकारात्मक शुरुआत देता है। चाहे शहर की सड़कों पर साइक्लिंग करूं या किसी शांत जगह पर, यह मुझे ऐसी आज़ादी और संतुलन देती है जो और किसी गतिविधि में नहीं मिलता। यह सक्रिय रहने का सबसे स्थायी और प्रभावी तरीका है। मैं हर हफ्ते इसका इंतजार करता हूं।”

पुष्पा इम्पॉसिबल में अश्विन की भूमिका निभा रहे नवीन पंडिता कहते हैं, मेरे लिए साइक्लिंग सिर्फ एक फिटनेस एक्टिविटी नहीं, बल्कि दो पहियों पर थेरेपी है। शूट शेड्यूल और शहर की भागदौड़ के बीच साइकिल की सवारी मेरा मन साफ करती है और मुझे फिर से संतुलन में लाती है। मुझे लगता है कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि सबसे साधारण चीजें, जैसे साइकिल की सवारी, सबसे ज़्यादा खुशी ला सकती हैं। साथ ही, यह फिट रहने का बेहतरीन तरीका है—वो भी बिना जिम जाए!”

पुष्पा इम्पॉसिबल में राशि पटेल का किरदार निभा रही देशना दुग्गड़ कहती हैं, “मेरे बड़े भाई ने मुझे दो-पहिए वाली साइकिल चलाना सिखाया था और जब मैंने अच्छे से सीख लिया, तो मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड को भी सिखाया! हम सुबह या ट्यूशन के बाद साइकिल चलाने निकलते, दोस्तों से मिलते और कभी-कभी स्नैक्स के लिए भी निकल जाते। मेरे पास दो साइकिलें हैं—एक गियर वाली और एक बिना गियर वाली—और मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैं साड़ी, ड्रेस या सूट—किसी भी आउटफिट में साइकिल चला सकती हूं! साइक्लिंग मुझे आज़ादी का एहसास देती है, जैसे मैं बिना पंखों के उड़ रही हूं। यह हमेशा मेरी छोटी-सी भागदौड़ से बाहर की दुनिया रही है—स्क्रीन, पढ़ाई या तनाव से दूर। वर्ल्ड बाइसिकल डे पर मैं कहना चाहूंगी कि हर टीनएजर को थोड़ी देर के लिए ही सही, अपने फोन को पैडल से बदलकर देखना चाहिए। यह मज़ेदार, सेहतमंद और सबसे अच्छा ‘मी-टाइम’ है।

वागले की दुनिया – नई पीढ़ी, नए किस्से में अथर्व वागले का किरदार निभा रहे शीहान कापाही कहते हैं, मुझे हमेशा से साइक्लिंग पसंद रही है — यह पहली चीज़ों में से थी जिसने मुझे आज़ादी का एहसास कराया। मेरी सबसे पसंदीदा यादों में से एक है जब मैं अपनी बहन के साथ साइकिल चला रहा था और पापा हमारे साथ दौड़ रहे थे। मुझे अब भी याद है कि अचानक बारिश शुरू हो गई थी, लेकिन हम घर वापस नहीं भागे, बस चलते रहे। मेरे पापा ने पूरे समय मेरे गले के पीछे हाथ रखा ताकि मैं गिर न जाऊं, और हम सब भीग गए, लेकिन वह पल बहुत मज़ेदार था। जब हम घर पहुंचे तो मम्मी ने सभी के लिए गरम पकौड़े बनाए थे और मेरे व मेरी बहन के लिए हॉट चॉकलेट। वह शाम आज भी मेरे लिए एक गर्मजोशी भरी याद है, जिसे मैं कभी भी याद कर सकता हूं। मुझे लगता है कि और लोगों को भी समय निकालकर साइकिल चलानी चाहिए। यह आपके शरीर के लिए अच्छा है, मन को शांत करता है और कभी-कभी… ऐसी यादें बना देता है जो कभी नहीं भूलतीं।