समलैंगिक विवाह मुद्दा : सर्व महिला संस्कृति रक्षा मंच कलक्टर को सौंपेगा ज्ञापन

अजमेर। समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता दिए जाने के सुप्रीमकोर्ट के फैसले को लेकर सर्व महिला संस्कृति रक्षा मंच के तत्वावधान में सुप्रीमकोर्ट तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सुबह 11 बजे कलक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

मंच का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने शीघ्रता एवं आतुरता में समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने का निर्णय लेने की तत्परता बताई है। भारत विभिन्न धर्मों जातियों उप जातियों का देश है इसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी है सभी धर्मों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख है। विवाह को दो अलग लैंगिकों के पवित्र मिलन के रूप में मान्यता देते हुए भारत का समाज विकसित हुआ है।

विवाह एक सामाजिक कानूनी संस्था है जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत सक्षम विधायिका द्वारा अपनी शक्तियों का प्रयोग कर बनाया है। उसे कानूनी रूप से मान्यता प्रदान की और विनियमित किया गया किसी भी न्यायालयीन व्याख्या से विधायिका द्वारा दिए गए विवाह संस्था के मूर्त रूप को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।

समलैंगिक विवाह भारतीय मूल्यों में प्रकृति के विरुद्ध है। विवाह का मूल उद्देश्य हमारे शास्त्रों में मानव जाति की उन्नति व वृद्धि है। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अर्थ समाज में अप्राकृतिक एवं अनैतिक जीवन पद्धति को मान्यता देना होगा। पाश्चात्य देशों के मानदंडों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं किया जा सकता। ऐसा कोई भी कृत्य जो सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करता हो उसे किसी भी प्रकार से भारत में मान्य नहीं किया जा सकता।

भारत में विवाह का एक सभ्यतागत महत्व है और एक महान और समय की कसौटी पर खरी उतरी वैवाहिक संस्था को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिए। हम समलैंगिक विवाह को विधि मान्यता देने का पुरजोर विरोध करते हैं।

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