चेटीचंड व सिंधी भाषा मान्यता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

अजमेर। पूज्य झूलेलाल जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे 10वें 16 दिवसीय चेटीचंड पखवाड़ा महोत्सव के दूसरे दिन प्रगति नगर कोटडा स्थित श्री अमरापुर सेवा घर परिसर में चेटीचंड व सिंधी भाषा मान्यता दिवस के महत्व पर सिंध इतिहास व साहित्य शोध संस्थान तथा ताराचंद हुंदलदास खानचन्दानी सेवा संस्था के संयुक्त तत्ववाधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में सुधार सभा के संरक्षक ईश्वर ठाराणी ने कहाकि नई पीढ़ी को यह गर्व होना चाहिए कि मेरी मातृभाषा सिंधी है। हमारे समाज में पहचान बोली से है। उसे बढाने में हमारा योगदान होना चाहिए। बंटवारे के बाद हमारे समाज बन्धु प्रान्त व अन्य स्थानों पर बिखर गए परन्तु सिन्धी भाषा को बचाने के साथ साथ उस प्रान्त की भाषा को भी अपनाया। सन 1948 के बाद सरकार ने हमें स्थापित कराने के लिए अजमेर में 31 सिन्धी स्कूल प्रारम्भ किए।दुखद बात है कि राजनैतिक व सामाजिक स्तर पर प्रयत्नों की कमी व अनदेखी ये ये सरकारी स्कूल धीरे धीरे समाप्त हो रहे हैं।

चिंतक एवं लेखक गिरधर तेजवाणी ने कहा कि सिन्धी भाषा सबसे उच्च भाषा है। यह संस्कृत भाषा के करीब की भाषा है। अन्य भाषाओं को सीखने में सिन्धी भाषी व्यक्ति को अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पडता है। हमारी युवा पीढी सिन्धी भाषा के साथ साथ अन्य भाषाओं में भी अपने कीर्तिमान स्थापित कर रही है। हम आज यह संकल्प लेकर जाएं कि अपने घरों में सिन्धी भाषा बोलेंगे।

शिक्षाविद राधाकिशन मोटवाणी ने कहां कि किसी भी भाषा के लिए बोली का महत्व चुनौतियां व समाधान पर हमें कार्य करना चाहिए। नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार हमारे विद्यार्थियों को मातृ भाषा में पढने को मिलेगा। नींव मजबूत होगी तो भाषा को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। हमें सरकार की एजेंसियों में सामाजिक संस्थाओं को जोडना चाहिए जिससे युवा पीढी आगे आ सके।

स्वागत भाषण व कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए समिति अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी ने बताया कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि 1967 के बाद आज चेटीचण्ड का पावन पर्व आ रहा है। इसलिए हमें संस्कृति के साथ शिक्षा को भी बढाना है। संगोष्ठी का शुभारंभ आराध्यदेव झूलेलाल व स्वामी हृदयाराम की मूर्ति पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। प्रारम्भ में सिन्धी श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। संयोजक शंकर बदलानी रहे। मंच संचालन हरी चंदनानी ने किया।

कार्यक्रम में डॉ. भरत छबलाणी, लाल नाथाणी, भगवान कलवाणी, प्रकाश जेठरा, भगवान साधवाणी, रमेश टिलवाणी, महेश मूलचंदाणी, रमेंश मेंघाणी, जीडी वृंदाणी, जयप्रकाश मंघाणी, ईश्वर जेसवाणी, एमटी वाधवाणी, खुशीराम ईसराणी, शंकर टिलवाणी, जसवंत गनवाणी, जया जगवाणी व अमरापुर सेवा घर के रहवासी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।