नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ अशोभनीय व्यंग्यचित्र बनाने के आरोपी हेमंत मालवीय उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद उसे फेसबुक से हटाने के लिए सोमवार को तैयार हो गया।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मालवीय के आचरण पर असहमति और असंतोष व्यक्त किया। पीठ ने उनकी वकील वृंदा ग्रोवर से पूछा कि क्या याचिकाकर्ता व्यंग्यचित्र वाली अपनी फेसबुक पोस्ट हटाने को तैयार हैं। इस पर सहमति व्यक्त करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि मैं बयान दूंगी कि मैं आपत्तिजनक टिप्पणियों का समर्थन नहीं कर रही हूं।
उन्होंने मामले में अंतरिम सुरक्षा की भी गुहार लगाई और कहा कि मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है और पुलिस उनके (मालवीय) दरवाजे पर दस्तक दे रही है। उन्होंने हालांकि कहा कि उनकी (याचिकाकर्ता की) टिप्पणियां अशोभनीय या घटिया लग सकती हैं, लेकिन वे कोई अपराधी नहीं हैं। इसलिए 50 वर्षीय इस आरोपी को अंतरिम राहत दी जानी चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि अभी भी परिपक्वता नहीं है। हम सहमत हैं कि यह भड़काऊ है। शीर्ष अदालत ने इन टिप्पणियों के साथ कहा कि वह इस मामले में मंगलवार को विचार करेगी।
याचिकाकर्ता मालवीय ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत ने कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ अशोभनीय व्यंग्यचित्र बनाने से संबंधित 2021 के एक मामले में 11 जुलाई को आरोपी मालवीय की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ग्रोवर के मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध स्वीकार करते हुए इस मामले को आज के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
अदालत के समक्ष अधिवक्ता ने यह भी दलील दी थी कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता की निंदा की और कहा है कि अर्नेश कुमार (2014) और इमरान प्रतापगढ़ी (2025) के मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसले इस मामले में लागू नहीं होंगे। पीठ के समक्ष उन्होंने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज अपराधों के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है।
इंदौर के व्यंग्यचित्रकार हेमंत ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के तीन जुलाई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देते हुए राहत की गुहार लगाई थी। उसने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उच्च न्यायालय का हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता बताने वाला आदेश लगभग दंडात्मक लगती है, न कि ठोस जांच आवश्यकताओं या उद्देश्य पर आधारित।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि हेमंत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है। उन्हें संबंधित व्यंगचित्र बनाते समय अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए था। उच्च न्यायालय ने हेमंत को हिरासत में लेकर पूछताछ का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर अपने फेसबुक पेज पर प्रधानमंत्री और आरएसएस के व्यंग चित्र बनाए थे, जिन्हें उच्च न्यायालय ने अशोभनीय, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण पाया था।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मालवीय द्वारा आरएसएस और प्रधानमंत्री के व्यंगचित्रण तथा उससे जुड़ी टिप्पणियों में हिंदू देवता शिव का अनावश्यक रूप से इस्तेमाल किया गया। इस तरह अपमानजनक टिप्पणी का समर्थन करना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरासर दुरुपयोग है। आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।