जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के आरोपी ने पहली बार उनके परिजनों से मांगी माफी

टोक्यो। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 2022 में हुई हत्या के मामले में गुरुवार को अदालत में पेश हुए आरोपी ने पहली बार आबे के परिवार से माफी मांगी और कहा कि उसके मन में उनके प्रति कोई भी बुरी भावना नहीं थी।

नारा जिला अदालत में 14वीं सुनवाई के दौरान तेत्सुया यामागामी ने कहा कि उन्हें आबे की पत्नी अकी आबे और परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति सहानुभूति है। अकी हालांकि गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नहीं थीं।

गौरतलब है कि 67 वर्षीय आबे को आठ जुलाई 2022 को पश्चिमी जापान के नारा में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में सभा को संबोधित करने के दौरान करीब से गोली मार दी गई थी। यह घटना हाउस ऑफ काउंसलर्स चुनाव से दो दिन पहले घटित हुई थी।

इस दौरान जब उससे से पूछा गया कि क्या उसे किसी दूसरे इंसान की जान लेने के बारे में कुछ कहना है, तो यामागामी ने जवाब दिया कि यह सच है कि मैंने (आबे के परिवार को) साढ़े तीन साल तक दुख पहुंचाया है। मैंने भी अपने परिवार के एक करीबी सदस्य को खोया है, इसलिए मेरे पास कोई बहाना नहीं है।

उसने कहा कि उसे यूनिफिकेशन चर्च (जो एक विवादित धार्मिक ग्रुप है) से नफ़रत थी, क्योंकि उनकी मां के इस संगठन को दिए गए भारी दान ने उनके परिवार को बर्बाद कर दिया था। उसने कहा कि उसे लगता था कि आबे का इस संगठन के जापान की राजनीति संबंधों में अहम भूमिका निभाई थी।

यामागामी ने यूनिफिकेशन चर्च के खिलाफ एक अलग जिला अदालत द्वारा जारी किए गए इसे भंग करने का आदेश देने का स्वागत किया। उसने कहा कि मुझे लगता है कि समाज ऐसा ही होना चाहिए।

ओसाका रेड क्रॉस हॉस्पिटल के एक डॉक्टर हिसाशी वाडा ने गवाही दी कि यामागामी ने अभियोग से पहले मनोरोग संबंधी मूल्यांकन के दौरान कहा था कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बात इतनी बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि उस दौरान में यामागामी में कोई मानसिक बीमारी नहीं पाई गई थी और उनके हालात, व्यक्तित्व और ज़िंदगी की कहानी को देखते हुए उनके मकसद समझ में आते हैं। डॉ. वाडा सरकारी गवाह के तौर पर पेश हुए थे।

उन्होंने विश्लेषण किया कि आरोपी को अपनी मां द्वारा चर्च को दान के तौर पर दी गई बड़ी धनराशि और उसके बड़े भाई की आत्महत्या के बारे में पता चलना, उसकी ज़िंदगी के दो बड़े मोड़ थे। वहीं, बचाव पक्ष के वकील के मुताबिक यामागामी की मां ने चर्च को 100 मिलियन येन दान करके परिवार को दिवालिया कर दिया था।

चर्च के नेताओं पर हमला करने में नाकाम रहने वाले यामागामी ने कहा कि उसने एक ऐसे राजनेता को निशाना बनाया जिसे वह उस समूह के प्रति हमदर्द समझता था। जांच सूत्रों के अनुसार यामागामी ने दावा किया कि उसने आबे को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि आबे के दादा, नोबुसुके किशी ने यूनिफिकेशन चर्च को जापान में लाने में मदद की थी। यह चर्च 1954 में दक्षिण कोरिया में एक कट्टर कम्युनिस्ट विरोधी व्यक्ति ने बनाया था। किशी भी प्रधानमंत्री रह चुके थे।