बीएलओ के साथ-साथ मतदाता खुद भी हुए घनचक्कर

सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। पूरे राजस्थान के मतदाताओं में खलबली मची हुई है, उन्हें वोटर लिस्ट में अपना और अपने परिवार का नाम कटने की आशंका सता रही है…क्योंकि मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम यानी SIR शुरू हो चुका है। घुसपैठियों के नाम कटना तो जायज है लेकिन बड़ी तादाद में वास्तविक मतदाताओं के नाम भी एक बार तो कट ही जाएंगे…बाद में नाम जुड़वाने के लिए उन्हें पसीने छूटने वाले हैं। यह सब होगा उन बीएलओ की मेहरबानी से जो इस काम में जमकर मनमानी कर रहे हैं।

कई बीएलओ घर घर जाकर SIR फार्म नहीं बांट रहे हैं। इसके बजाय वे किसी गली मोहल्ले में एक ही जगह किसी परिचित के यहां सभी के फार्म रखवाकर जा रहे हैं। जिसने फार्म नहीं लिया और भरकर वापस वही नहीं रखा तो उसका नाम कटना तय है। जयपुर से रघुनाथपुरी झोटवाड़ा का एक वीडियो सामने आया है, जहां बीएलओ ने कई वोटर्स को घर घर जाकर फॉर्म नहीं बांटे, बल्कि उनके नाम काटने की तैयारी भी कर ली। जब वोटर्स को इसका पता चला तो उन्होंने खूब खरी खोटी सुनाई।

अजमेर में भी कई बीएलओ मतदाता के घर नहीं जा रहे बल्कि मतदाता खुद उन्हें ढूंढते हुए पहुंच रहे हैं। यही सच्चाई है। जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर का स्पष्ट आदेश हैं कि बीएलओ एक एक मतदाता से पर्सनल मिलकर खुद उसका सत्यापन करेंगे, उसका या उसके माता-पिता का नाम साल 2002 की लिस्ट में ढूंढने में मदद करेंगे लेकिन ज्यादातर बीएलओ ने पुरानी लिस्ट में नाम खोजने की जिम्मेदारी खुद वोटर्स पर ही डाल रखी है। यही सच्चाई है।

.. और सबसे बड़ी बात यह है कि जिन वोटर्स के SIR फार्म वापस जमा हो चुके हैं, उनमें से किसी को बीएलओ ने रसीद नहीं दी है। SIR फॉर्म दो कॉपियों में भरा जाना है। फॉर्म भरकर एक कॉपी बीएलओ जमा करेगा और दूसरी कॉपी पर साइन करके मतदाता को लौटाएगा, ऐसा उन्हें ट्रेनिंग में समझाया गया है लेकिन हो उल्टा रहा है। किसी भी वोटर जो साइन करके फॉर्म नहीं दिया जा रहा है। उनके पास कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने बीएलओ को फॉर्म जमा करा दिया है। यही सच्चाई है। आने वाले दिनों में ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होगी तो हजारों मतदाताओं के कटे होंगे और उन्हें फिर से नाम जुड़वाने के लिए धक्के खाने पड़ेंगे, यह तय है।

जिला निर्वाचन अधिकारी वक्त वक्त पर प्रेसनोट जारी कर वाहवाही लूट रहे हैं कि हेल्प शिविर लगाकर इतने लाख फॉर्म भरवाए गए… इतने लाख फॉर्म डिजिटाइज किए.. इतने लाख फॉर्म अनकलेक्ट हैं… इतने मतदाता ‘स्थाई शिफ्ट’ हो गए। ये काम कितनी ईमानदारी से हो रहा है, इसका खुलासा आने वाले दिनों में ड्राफ्ट मतदाता सूची में होगा।

टीचर्स में फर्क क्यों..?

इस काम में बड़ी तादाद में टीचर्स को बीएलओ बनाकर लगाया गया है। बीएलओ पर अफसरों का इतना ज्यादा दबाव है कि जयपुर में तो एक बीएलओ ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या तक कर ली। पूरे राज्य में टीचर्स आंदोलन पर उतर आए हैं…उन्हें टीचर्स को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने की अपनी पुरानी मांग उठाने का अवसर मिल गया।

असल मुद्दा यह है कि जो भी बीएलओ SIR के काम में लगे हैं, क्या वाकई वे सभी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं? क्या कलक्टर ने भी ईमानदारी से बीएलओ ड्यूटी लगाई…? कई टीचर्स हर बार अपने सम्बन्धों और संपर्क में रहे प्रभावशाली लोगों से जैक लगवाकर बीएलओ ड्यूटी से मुक्ति पा लेते हैं… क्या कलक्टर ने कभी ऐसे टीचर्स का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की?