धार। मध्यप्रदेश के धार जिले में दिव्यांग युवती से रेप के प्रकरण में अदालत ने सौतेले पिता मारू उर्फ नारायण को आजीवन शेष प्राकृत जीवनकाल तक कारावास की सजा सुनाई है।
मानसिक रूप से दिव्यांग 22 वर्षीय पीड़िता का आईक्यू स्तर मात्र चार वर्षीय बच्ची के समान पाया गया। पीड़िता आरोपी का सही नाम तक नहीं बता पा रही थी। मामला तब उजागर हुआ, जब परिजन वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से बच्ची को सेवा आश्रम में छोड़ने की इच्छा जताने पहुंचे।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए नौगांव पुलिस ने जांच शुरू की और मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह ली। जांच के दौरान पीड़िता ने 9 दिसंबर 2023 को एक बालक को जन्म दिया। पुलिस ने दो संदिग्धों कन्हैयालाल और मारू के सैंपल डीएनए परीक्षण हेतु भेजे, जिनमें मारू के सैंपल से दुष्कर्म और नवजात के जैविक पिता होने की पुष्टि हुई। इसी आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।
प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायालय धार के द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश ने प्रकरण में 30 साक्षियों के कथन तथा 38 पुलिस दस्तावेजों का परीक्षण किया। पीड़िता की बहन और क्षेत्रीय पार्षद ने अदालत को बताया कि आरोपी सौतेले पिता के रूप में घर आता-जाता था और इसी दौरान उसने दुष्कर्म किया। विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने डीएनए रिपोर्ट में तीनों पीड़िता, नवजात व आरोपी के जेनेटिक मार्करों पर समान ऐलिल पाए जाने की पुष्टि की।
न्यायालय ने कहा कि आरोपी, जो पीड़िता का संरक्षक था, उसी ने उसकी असुरक्षा का कारण बनाया। पीड़िता मानसिक रूप से असमर्थ है और स्वयं का ध्यान रखने में सक्षम नहीं है। साथ ही नवजात को भी निश्चित अवधि तक सेवा आश्रम में रहना होगा। अदालत ने अपराध को सामाजिक ताना-बाना विचलित करने वाला बताते हुए कठोर दंड आवश्यक माना।
न्यायालय ने आरोपी मारू उर्फ नारू उर्फ नारायण (45) निवासी हाथी थाना धार को आजीवन प्राकृतिक जीवनकाल कारावास और 30 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है तथा अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता को प्रतिकार राशि दिलाने का निर्देश दिया है।



