सरोगेसी कानून में आयु प्रतिबंध पिछली तारीख से लागू नहीं होंगे : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 के लागू होने से पहले बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया शुरू करने वाले सभी इच्छुक दम्पतियों पर आयु संबंधी प्रतिबंध लागू नहीं होंगे।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सरोगेसी सहित प्रजनन संबंधी विकल्प चुनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता का एक पहलू है।

न्यायालय ने विजया कुमारी एस और अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं और आवेदनों को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(तीन) (सी) (1) में आयु-प्रतिबंध प्रावधान पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। अधिनियम के अनुसार महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि यदि किसी इच्छुक दंपत्ति ने अधिनियम के लागू होने से पहले यानी 25 जनवरी, 2022 से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सरोगेट माता के गर्भाशय में भ्रूण के स्थानांतरण की दहलीज पर थे, तो अधिनियम की धारा 4(3)(सी)(1) के तहत आयु प्रतिबंध उन पर लागू नहीं होगा।

न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को अपनी सरोगेसी प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी, बशर्ते वे अधिनियम और उसके नियमों के तहत अन्य सभी शर्तों को पूरा करते हों। न्यायालय ने इसी तरह की स्थिति वाले किसी भी अन्य इच्छुक दम्पती को भविष्य में राहत के लिए अपने अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी अनुमति दी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने कानून में आयु सीमा की वैधता की जाँच नहीं की है, बल्कि उनकी प्रयोज्यता पर विचार किया है।