हैदराबाद। तेलंगाना राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए दशकों पुराने दो से ज्यादा बच्चों के नियम को खत्म करने का फैसला किया। मौजूदा नियम के तहत दो से ज़्यादा बच्चों वाले उम्मीदवारों को एमपीटीसी, जेडपीटीसी, वार्ड सदस्य और सरपंच के पदों पर चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।
राजस्व मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी ने कैबिनेट बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विभिन्न पक्षों से मिले सुझावों के बाद गुरुवार को हुई बैठक में इस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया गया।
यह मानदंड पहली बार 1994 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश विधानसभा द्वारा एक संशोधन विधेयक के माध्यम से लागू किया गया था। यह नियम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था ताकि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोका जा सके।
राजस्थान (1992), ओडिशा (1993), हरियाणा (1994), हिमाचल प्रदेश (2000), मध्य प्रदेश (2000), छत्तीसगढ़ (2000), उत्तराखंड (2002), महाराष्ट्र (2003), गुजरात (2005), बिहार (2007) और असम (2017) राज्यों ने भी इसी तरह के उपाय अपनाए। छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने इस नीति को निरस्त कर दिया और 2024 में आंध्र प्रदेश भी इस सूची में शामिल हो गया।
श्रीनिवास रेड्डी ने स्थानीय निकाय चुनावों में 42 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद कहा कि 23 अक्टूबर को होने वाली अगली कैबिनेट बैठक में इस मामले पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की समीक्षा के बाद सरकार अंतिम निर्णय लेने से पहले कानूनी विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से परामर्श करेगी।