गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के जरिए कोई परोक्ष युद्ध (प्राॅक्सी वार) नहीं कर रहा है, बल्कि यह उसकी युद्ध की सोची-समझी रणनीति है और इसका जवाब युद्ध की ही तरह दिया जाएगा।
मोदी ने भारत के खिलाफ सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद की तुलना चुभते कांटे से करते हुए कहा कि शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।
उन्होंने गांधीनगर में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत पड़ोसियों के साथ सुख-शांति से रहना चाहता है, लेकिन अगर हमारे सामर्थ्य को ललकारा जायेगा, तो उसका पूरे साहस से जवाब दिया जाएगा। कार्यक्रम का विषय था, गुजरात में नगर विकास क्षेत्र के 20 वर्ष। इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और सी आर पाटिल, गुजरात सरकार के कई मंत्री, सांसद, विधायक और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोग मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘आपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान परस्त आतंवादियों के ठिकानों पर की गयी सैन्य कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वार कहते थे, छह मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वार कहने की गलती नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में छह-सात मई की रात को भारत के हमले में मारे गए आतंकवादियों के जनाजे को जिस तरह का राजकीय और सैन्य सम्मान दिया गया, उससे साफ है कि भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां परोक्ष युद्ध नहीं बल्कि युद्ध की सोची समझी रणनीति है।
मोदी ने कहा कि छह मई के बाद जिनका कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर (राजकीय सम्मान) दिया गया, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उन्हें सैल्यूट दिया, यह सिद्ध करता है कि ये आतंकवादी गतिविधियां हैं, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आप की सोची- समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नयी पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है?
मोदी ने कहा कि 1947 में देश के दो टुकड़े कर दिए गए और आजादी की रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। उन्होंने कहा कि मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि जब तक पीओके (पाकिस्तानी कब्जे वाला कश्मीर) वापस नहीं आता है, तब तक सेना रुकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वह सिलसिला 75 साल से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ बार-बार युद्ध में धूल चाटने के बाद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सैन्य प्रशिक्षित आतकवादियों के जरिये हमले कराने की रणनीति अपनाई। मोदी ने सवाल किया कि आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए? उन्होंने कहा कि आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, छह मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि उस रात भारत के सैन्य बलों ने आतंकवाद के नौ ठिकाने चिह्नित कर 22 मिनट में उनको ध्वस्त कर दिया और यह काम कैमरों के सामने किया ताकि हमारे घर में कोई सबूत न मांगे। उन्होंने आतंकवादियों जनाजे में पाकिस्तान के शासन और सेना के अधिकारियों की उपस्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है।
सिन्धु नदी जल संधि का भी जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने निलंबित कर दिया गया है। इस संधि से भारत के लोगों का पानी का हक मारा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1960 में जो सन्धि हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहां तक तय हुआ है कि जो जम्मू-कश्मीर की अन्य नदियों पर डैम (बांध) बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं की जाएगी। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत-प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, प्रतिशत, तीन परसेंट रह गया। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि क्या मेरे देशवासियों का पानी पर अधिकार नहीं है? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको एबेयंस (निलंबित) में रखा है। वहां (पाकिस्तान का) पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां बाढ़ आ जाती है।
मोदी ने कहा कि भारत किसी से दुश्मनी नहीं चाहता। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार एकनिष्ठ भाव से सभी भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है।
मोदी ने कहा कि 26 मई 2014 को उन्हें पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला तो भारत की अर्थव्यवस्था 11 नंबर पर थी। उन्होंने कहा कि हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें और प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए भी भारत आज चार नंबर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। ऐसा इस लिए संभव हो सका है, क्योंकि हमारा यह लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।