वसुंधरा राजे को पोस्टर में जगह देने से था जिन्हें परहेज, अभी छोड़ नहीं रहे थे साथ

वसुंधरा राजे के सिरोही आगमन पर उनकी सेवा में तत्पर गणपत सिंह राठौड़।

सबगुरु न्यूज -सिरोही। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे शुक्रवार को सिरोही प्रवास पर थी। यहां पर रेवदर तहसील में अंजना माता मंदिर के कार्यक्रम में उन्हें हिस्सा लेना था। सिरोही प्रवास के दौरान कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेज थी। जिस भाजपा नेता ने 2018 के चुनावों के बाद पूरे आत्मविश्वास से वसुंधरा राजे को किसान मोर्चा के बैनरों से बायकॉट कर दिया था वो शुक्रवार के दौरे में उनके साए से भी दूर होने को तैयार नहीं थे।
– बड़े नेताओं  को खुश करने की कवायद
2018 के चुनावों में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़े चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई। 2019 में मोदी सरकार पूर्ण बहुमत से आई। भारत के राजनीतिक गलियारों में मोदी-शाह से और राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में सतीश पूनिया से वसुंधरा राजे के मतभेद किसी से छिपे नहीं थे। केंद्र के साथ मतभेद के कारण नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर भी लंबी खींचतान चली थी।

वसुंधरा सरकार के जाते ही उनके प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले सतीश पूनिया को 2019 में प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। गणपत सिंह राठौड़ सिरोही किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष थे। प्रदेश के अन्य नेताओं के साथ शायद इन्होंने भी मान लिया था कि अब वसुंधरा राजे की राजस्थान से राजनीतिक विदाई हो चुकी है। इसी अति उत्साह में गणपतसिंह राठौड़ ने सतीश पूनिया के सिरोही आगमन के दौरान और 29 जुलाई 2021 को सिरोही के स्वामीनारायण मंदिर में आयोजित किसान मोर्चा के महासम्मेलन के दौरान शहर और मंच पर लगे पोस्टरों से वसुंधरा राजे की विदाई कर दी।

यही गणपतसिंह जुलाई 2018 में केंद्र सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य बढ़ाने के समर्थन में निकाली गई रैली में किसान मोर्चा के बैनरों में वसुंधरा राजे की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगाए हुए थे। उस समय राजे मुख्यमंत्री थीं। पार्टी सूत्रों के अनुसार संभवतः इसलिए मोदी-शाह और पूनिया से मतभेद के बावजूद गणपतसिंह उन्हें नजरंदाज करना अपने लिए हितकर नहीं समझा। अब जब वसुंधरा राजे शुक्रवार को सिरोही आई तो यही गणपतसिंह सिरोही में प्रवेश के बाद से ही उनके सबसे करीब नजर आने की कोशिश करते दिखे।

सिरोही किसान मोर्चा का जिलाध्यक्ष रहते हुए जुलाई 2019 में गणपत सिंह राठौड़ द्वारा आयोजित करवाए किसान महा सम्मेलन के मंच के बैनर में से नदारद वसुंधरा राजे की फोटो।

इसलिए जा पाए इतने करीब
सांसद द्वारा पोस्ट किए गए वसुंधरा राजे के आरासना माता मंदिर में दर्शन के वीडियो में गणपतसिंह राठौड़ राजे के बिल्कुल पहले चलते हुए दिख रहे हैं। उन्हें पूजन सामग्री थमाते नजर आ रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो गणपतसिंह राठौड़ वर्तमान सांसद लुंबाराम चौधरी और जिलाध्यक्ष रक्षा भंडारी के सबसे विश्वस्तों में शुमार हैं। संगठन सूत्रों के अनुसार शैडो सांसद और जिलाध्यक्ष के रूप में जिले में सक्रिय रहने के कारण तब बैनरों में वसुंधरा राजे का बायकॉट करने के बाद भी अब वसुंधरा राजे के इतने करीब जाने में सफल हो पाए। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रमुख कार्यक्रमों में सांसद और सांगठनिक कामों के लिए जिले में अधिकांश मार्गदर्शन प्रचारित-प्रसारित करने की जिम्मेदारी गणपतसिंह राठौड़ पर ही रहती है। ओम बिड़ला के आबूरोड आगमन के दौरान रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर ही नियम विरुद्ध बिना शुल्क भरे सांसद और उनके होर्डिंग लगाने वाले भी इनके विश्वस्त ही थे।

सिरोही किसान मोर्चा का जिलाध्यक्ष रहते हुए वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल में जुलाई 2018 में गणपत सिंह राठौड़ द्वारा आयोजित करवाए किसान सम्मेलन के मंच के बैनर में नजर आती वसुंधरा राजे की बड़ी फोटो।

-बाहरी का मुद्दा चिपका रहा
गणपतसिंह राठौड़ जिले में कितने बड़े वोट दिलाऊं नेता हो सकते हैं ये इससे पता चलता है कि जिला संगठन में स्थानीय नेताओं में इनका विरोध शुरू से ही रहा है। ये विरोध इनके जिले से बाहर का होने को लेकर रहा है। शुरू से ही ये सांसदों के करीबी रहे। पहले देवजी पटेल के तो अब सांसद लुंबाराम चौधरी के। हाल में जिलाध्यक्ष के लिए होने वाले चुनावों में ये लुंबाराम चौधरी के सबसे प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन, जिले के सभी गुटों द्वारा पायल परसरामपुरिया को इस दौड़ से बाहर करने पर सहमति बनने के बाद रक्षा भंडारी को प्रदेश संगठन से भेजा गया। उस समय ये उनके प्रबल समर्थको में रहे। इसके बाद से जिलाध्यक्ष के विश्वस्तों की सूची में प्रथम पादान पर हैं।