तिरुवनंतपुरम। केरल में इस वर्ष रैट फीवर से 29 लोगों की मौत की पुष्टि के बाद राज्य के लोगों को इस बीमारी से सतर्क किया जा रहा है। रैट फीवर यानि लीप्टोस्पायरोसिस एक गंभीर बीमारी है जिसके बारिश दौरान फैलने का खतरा ज्यादा होता है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि मनरेगा श्रमिकों, सफाईकर्मियों, स्वयंसेवकों, बागवानी करने वालों और मिट्टी में खेलने वाले बच्चों को रैट फीवर का ज्यादा खतरा है। इन्हें डॉक्सीसाइक्लिन जरूर लेनी चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मिट्टी या दूषित पानी के संपर्क में आने वालों को स्वास्थ्यकर्मियों की सलाह के अनुसार इलाज के लिए डॉक्सीसाइक्लिन टैबलेट लेनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क जरूरी है।
रैट फीवर चूहा, गाय, बकरी या कुत्ते जैसे संक्रमित जानवरों के मल-मूत्र से निकले बैक्टीरिया के दूषित मिट्टी या पानी के जरिये मानव शरीर में प्रवेश करने से फैलता है। यह बैक्टीरिया त्वचा पर हुए जख्मों, आंख, नाक या मुंह के जरिये शरीर में प्रवेश कर सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मिट्टी या दूषित पानी के संपर्क में आने वालों को सप्ताह में एक बार 200 मिलीग्राम डॉक्सीसाइक्लिन लेनी चाहिए। ये दवा सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मिलती है। शुरुआती लक्षण दिखें, तो तुरंत इलाज लें। समय पर सावधानी से रैट फीवर से बचाव संभव है।