जगसीराम कोली और नीरज डांगी के 15 साल, अब भी आबूरोड बदहाल

डिस्कोम आबूरोड।

आबूरोड। सिरोही जिले के रेवदर विधानसभा क्षेत्र में जगसीराम कोली 15 साल भाजपा से विधायक हैं। वहीं कांग्रेस से नीरज डांगी का भी यहां दबदबा है। लेकिन, इन 15 सालों में 2008 के परिसीमन में रेवदर विधानसभा में आए आबूरोड में कितना बदलाव हुआ है ये यहां की बिजली, पानी और सफाई व्यवस्था की बदहाली से पता चल जाएगा। ये ही मुद्दे हैं जो किसी नेता के जनसमस्याओं के लिए संविदनशील बनाते हैं। लेकिन, दोनों ने यहां का कोई विजन प्लान नहीं बना रखा। जिससे जिले की सबसे बड़ी शहरी आबादी होने का बाद भी यहां मूल सुविधाएं लोगों को नियमित नहीं मिल पा रही।

एक चौथाई शहर ग्रामीण फीडर पर

आबूरोड शहर नगर पालिका के वार्डों में पड़ने वाले एक चौथाई हिस्सा बिजली के ग्रामीण फीडर पर जुड़ा हुआ है। जहां कण बिजली जा रही है, कब आ रही है कोई ठिकाना नहीं। 2008 से 13 तक अशोक गहलोत सरकार में डांगी को बिधायक प्रोटोकॉल था, 2013 से 18 तक वसुंधरा सरकार में जगसीराम कोली खुद भाजपा विधायक थे।

फिर 2018 से 23 तक नीरज डांगी विधायक प्रोटोकॉल में हैं। इसके बावजूद ये दोनों लोग आबूरोड नगर पालिका के सारे क्षेत्रों को एक शहरी फीडर से जोड़ने के विजन से मुक्त रहे। तरतौली से मानपुर होते हुए आकराभट्टा जैसे नगर पालिका क्षेत्र के हिस्से को डिस्कॉम ने मोरथला, खड़ात, चांदमारी जैसे बाहरी इलाकों से जोड़ रखा है।

ऐसे में बाहरी इलाकों में फॉल्ट आने पर इन शहरी क्षेत्रों की बिजली घंटों गायब रहती है। जबकि दोनो नेता दावा करते हैं कि उन्होंने अपने अपने राज में रेवदर विधानसभा में 15 साल में 4 हजार करोड़ से ज्यादा का विकास करवा दिया है। यहां से ज्यादा व्यवस्थित विद्युत वितरण व्यवस्था सिरोही शहर की हो रखी है। आबूरोड के शहरी इलाके की बदहाली में इन दोनों नेताओं और स्थानीय डिस्कॉम अधिकरियो की गैर जवाबदेही पूर्ण भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

ये है कार्यप्रणाली

आबूरोड शहर में डिस्कॉम की व्यवस्था और मोनिटरिंग कितनी लचर और जानलेवा है ये बुधवार को पता चला। यहां पर बारिश से पहले एक इलाके में पेड़ की डालियों के 11 केवी लाइन के छूने से लगातार स्पार्किंग हो रही थी। ये घटना रिहायशी कोलोनी के मुख्य मार्ग पर हो रही थी।  इसकी सूचना मानपुर डिस्कॉम कार्यालय में दी तो वो टालमटोली करके ठेकेदारों को राहत देने के लिए ये काम सुबह करने को कहते रहे। जबकि यहां की बिजली मरम्मत व्यवस्था ठेके पर दी हुई है।

जिला कंट्रोल रूम पर फोन करने के बाद टीम आई और पेड़ की डालियां काटी। इसके आधे घण्टे  बाद ही तेज बारिश हो गई। यदि ये डालियां काटने में लापरवाही करते तो ये जानलेवा भी हो सकता था। यही हाल अन्य स्थानों पर करने की वजह से आबूरोड शहर के बड़े इलाके को 5 घण्टे से ज्यादा अंधेरे, गर्मी और मच्छरों में रहना पड़ा। दोपहर में 11 बजे फिर से बिना पूर्व सूचना के 4 घण्टे कटौती कर दी गई। बारिश से पूर्व मेंटिनेंस के लिए शट डाउन लेने के बाद भी आबूरोड डिस्कॉम किस तरह से काम कर रहा है इसकी परिणीति है हल्की बारिश में पूरे सिस्टम का शट डाउन होना।