नई दिल्ली। सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अगले चरण के सुधारों के तहत कर स्लैबों की संख्या चार से घटाकर दो करेगी ओर आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली चीजें सस्ती होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को लाल किले की प्राचीर से 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नई पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की घोषणा की। उन्होंने इसे दिवाली का तोहफा बताते हुए कहा कि इससे आम लोगों के लिए चीजें सस्ती होंगी और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) को फायदा पहुंचेगा।
वित्त मंत्रालय ने इन सुधारों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यतः तीन तरह के सुधार प्रस्तावित हैं। जीएसटी में संरचनात्मक, दरों से संबंधित और जीवनयापन की आसानी से जुड़े सुधार होंगे।
दरों से संबंधित सुधारों के तहत स्लैबों की संख्या मौजूदा चार से घटाकर दो की जायेगी। इसके अलावा कुछ वस्तुओं पर विशेष दरें लगाई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जीएसटी के तहत कर के चार स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। इसके अलावा आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली चीजें और आकांक्षी वस्तुओं पर कर की दरें कम की जाएंगी।
संरचनात्मक सुधारों के तहत इनपुट टैक्स और आउटपुट टैक्स को संरेखित किया जायेगा जिससे इनपुट टैक्स का बकाया ज्यादा नहीं होगा। वर्गीकरण के मुद्दों का समाधान किया जाएगा ताकि विवादों में कमी आए, अनुपालन प्रक्रिया आसान हो और समता बढ़े। क्षतिपूर्ति उपकर को समाप्त किया जाएगा।
जीवनयापन की आसानी के तहत पंजीकरण, रिटर्न और रिफंड प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाएगा। पंजीकरण को समयबद्ध किया जाएगा और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। इससे विशेष रूप से छोटे कारोबारियों को स्टार्टअप को ज्यादा फायदा होगा। पहले से भरे हुए रिटर्न को लागू किया जाएगा ताकि इंसानी दखल कम हो और गलतियों की संभावना कम हो। रिफंड की प्रोसेसिंग स्वचालित की जाएगी जिससे रिफंड में लगने वाला समय कम होगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया था। पिछले आठ साल में इसमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं। इससे नए सिरे से संरचनात्मक और अन्य सुधारों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना आज से लागू
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे युवा भविष्य का आधार हैं और रोजगार उन्हें मजबूती प्रदान करेगा इसलिए देश के युवाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना बनाई गयी है जो आज से ही लागू की जा रही है।
मोदी ने कहा कि योजना के तहत निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले बेटे-बेटी को 15 हजार रुपए सरकार की तरफ से दिए जाएंगे। सरकार की युवाओं को 15 हजार रुपए तक की पहली नौकरी की गारंटी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आज 15 अगस्त है और देश की आजादी की 79वीं सालगिरह है। देश के युवाओं को रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए आज से ही युवाओं के लिए एक लाख करोड़ रुपए की योजना लागू की जा रही हैं।
युवाओं को रोजगार देने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है जिसके तहत तय किया गया है कि जो भी कंपनी ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराएगी उसे प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उनका कहना था कि इस योजना से करीब 3.5 करोड़ नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के तहत पहली बार नौकरी ज्वॉइन करने वाले युवाओं को 15000 रुपए दिए जाएंगे। नए युवाओं को नौकरी देने वाली कंपनियों को सरकार की तरफ से 3000 रुपए प्रति कर्मचारी प्रोत्साहन की राशि दी जाएगी। इस योजना का संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन करेगा।
गरीबी के बारे में मैंने पढ़ा नहीं बल्कि उसे खुद देखा है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने गरीबी के बारे में किताबों में नहीं पढ़ा बल्कि गरीबी क्या होती है इसे उन्होंने खुद देखा है। वह इसकी पीड़ा समझते हैं इसलिए उनकी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि गरीबों के कल्याण की योजनाओं का लाभ उनके द्वार तक पहुंचे।
मोदी ने कहा कि गरीबों को उनके लिए बनी योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि गरीब कल्याण की योजनाएं सरकारी दफ्तरों की फाइलों में उलझी न रहे। इन योजनाओं का लाभ देश के नागरिकों तक पहुंचे और उन्हें इसका लाभ मिले।
उन्होंने कहा कि किताबों में मुझे यह कभी पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ी कि गरीबी क्या होती है क्योंकि मुझे मालूम है कि गरीबी क्या होती है। मैंने हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सरकार सिर्फ़ फाइलों तक सीमित न रहे बल्कि यह नागरिकों के जीवन तक पहुंचे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने गरीब, कमजोर, दिव्यांग, आदिवासी तथा अन्य वंचित वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचाने की योजना को विशेष महत्व दिया है। उनका कहना था कि एक समय था जब गरीबों, हाशिए पर रह रहे लोगों, आदिवासियों और दिव्यांगजनों को अपने अधिकारों के लिए भटकना पड़ता था, एक सरकारी कार्यालय से दूसरे सरकारी कार्यालय भागते हुए अपना जीवन बिता देते थे। आज सरकार आपके दरवाजे पर आती है, लाभार्थियों तक सीधे योजनाएं पहुंचाती है।