पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा का उल्लास के साथ शुभारंभ

पुरी। ओडिशा में पुरी स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर के पीठासीन देवताओं, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का नौ दिवसीय प्रवास आज सुबह हरिबोल और जय जगन्नाथ के जयघोष और मंदिर नगरी में मंजीरों की लयबद्ध झंकार के बीच शुरू हुआ।

दुनियाभर में विख्यात इस वार्षिक रथ यात्रा देखने के लिए लाखों श्रद्धालु इस तीर्थ नगरी में आए हुए हैं। वे 12वीं शताब्दी के मंदिर के लायंस गेट से गुंडिचा मंदिर तक फैले तीन किलोमीटर लंबे बड़ा डांडा (विशाल मार्ग) ग्रैंड रोड पर एकत्रित हुए।

दैनिक अनुष्ठान पूरा होने के बाद सबसे पहले भगवान सुदर्शन के साथ दैवीय रूपों वाले भाई-बहनों को गोपाल भोग (नाश्ता) अर्पित किया गया। इसके बाद उन्हें भव्य जुलूस के रूप में गर्भगृह (रत्न वेदी) से बाहर लाया गया जिसे पहांडी बिजे के नाम से जाना जाता है। फिर उन्हें मंदिर के बाहर खड़े उनके सुसज्जित रथों तक ले जाया गया।

सैकड़ों मंदिर सेवकों ने कड़ी सुरक्षा और शंखनाद के बीच देवताओं को अपने कंधों पर उठाकर आनंद बाज़ार और बैशी पहाचा से होते हुए सिंह द्वार तक पहुंचाया।

परंपरा के अनुसार सबसे पहले भगवान बलभद्र को बाहर लाकर तालध्वज रथ पर बिठाया जाता है। उसके बाद देवी सुभद्रा को दर्पदलन रथ पर बिठाया जाता है। अंत में भक्तों द्वारा प्यार से कालिया कहलाए जाने वाले भगवान जगन्नाथ को नंदीघोष रथ पर बिठाया गया।

देवताओं को अपने रथों पर सवार होते देखने के लिए लायंस गेट पर श्रृद्वालुओं की भारी भीड़ के बीच गुंडिचा मंदिर की उनकी यात्रा शुरू हो गई। बड़ा डांडा के दोनों ओर की इमारतों की छतें सुबह से ही भक्तों से भर गईं। विशाल मार्ग की ओर जाने वाली सभी गलियाँ और रास्ते खचाखच भरे थे क्योंकि लोग रथों पर देवताओं के पवित्र दर्शन के लिए क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।

इस बीच मंदिर के सूत्रों के अनुसार देवताओं को उनके संबंधित रथों पर बिठाए जाने के बाद पुरी के गजपति राजा दिव्यसिंह देब पारंपरिक चेरा पन्हारा (स्वर्ण झाड़ू से रथों की सफाई) करेंगे । लाखों श्रद्धालु एक के बाद एक रथों को बड़ा डांडा के साथ गुंडिचा मंदिर तक खींचेंगे जहां देवता नौ दिनों तक रहेंगे और फिर बहुदा यात्रा (वापसी रथ महोत्सव) के दौरान मुख्य मंदिर में लौट आएंगे।

उत्सव के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, आरएएफ, एनएसजी कमांडो, ड्रोन रोधी दस्ते और अचूक निशानेबाजों सहित 10,000 से अधिक कर्मियों की तैनाती की गई है।

भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और राज्य समुद्री पुलिस तटीय सीमा पर गश्त कर रही है जबकि बड़ा डांडा और आसपास के इलाकों में 275 एआई-संचालित सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन जैमर लगाए गए हैं। ये एक एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र से जुड़े हैं।

भारी संख्या में लोगों की आवाजाही को संभालने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ा डांडा के साथ 36 निर्दिष्ट पार्किंग क्षेत्र और एक एम्बुलेंस कॉरिडोर की व्यवस्था की गई है।

समुद्र तट की निगरानी के लिए 500 से अधिक लाइफगार्ड तैनात किए गए हैं। केंद्रीय रेल मंत्री के निर्देशानुसार रेलवे स्टेशन पर आवश्यक सुविधाओं के साथ अस्थायी आवास और मुफ्त भोजन वितरण केंद्र स्थापित किए गए हैं।

स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर सरकार ने भीषण लू और और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए 268 इनडोर रोगी बिस्तरों की व्यवस्था की है। चिकित्सा की आपातस्थिति से निपटने के लिए पुरी में कुल 378 डॉक्टर और पैरामेडिक्स तैनात किए गए हैं।

अतिरिक्त महानिदेशक (यातायात) दयाल गंगवार ने कहा कि क्षेत्र में कुंभ मेला मॉडल से प्रेरित एक विशेष एकीकृत यातायात नियंत्रण योजना लागू की गई है। यातायात प्रबंधन के लिए दस डिजिटल संचार प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं जिसमें 300 निजी सुरक्षा कर्मी डेटा प्रोसेसिंग में सहायता कर रहे हैं।

छह प्रवर्तन टीमों को नो-पार्किंग ज़ोन में खड़े वाहनों को हटाने का काम सौंपा गया है और यातायात सुगम बनाने के लिए 80 से अधिक ट्रैफ़िक सहायता चौकियां बनाई गई हैं।

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