राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में डेजर्ट क्लाइमेट चेंज रिसर्च सेंटर की होगी स्थापना

अजमेर। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय (CURAJ) ने इस समय की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक रेगिस्तानी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है।

हाल ही में विश्वविद्यालय में विभिन्न संस्थानों और विशेषज्ञों की एक बैठक में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), राजस्थान सरकार, आईआईटी जोधपुर, सेंट्रल एरिड ज़ोन रिसर्च इंस्टिट्यूट जोधपुर, बीआईटी मेसरा, एएचआई बीकानेर, एसकेआरआई विश्वविद्यालय बीकानेर आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस बैठक में डेजर्ट क्लाइमेट चेंज रिसर्च सेंटर (DCRC) की स्थापना पर चर्चा हुई। यह केन्द्र अनुकूलन और शमन रणनीतियों, भू-स्थानिक (Geospatial) इंटेलिजेंस, संवेदनशीलता मानचित्रण और नीतिगत एकीकरण पर काम करेगा, जिससे राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पारिस्थितिक तंत्र और मानव आजीविका की लचीलापन क्षमता मजबूत होगी।

इस पहल को प्रोत्साहित करते हुए राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने कहा कि राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय इस बहु-संस्थागत केन्द्र को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाने पर गर्व महसूस करता है। हम विश्वविद्यालय का स्थान और विशेषज्ञता उपलब्ध कराकर DCRC की गतिविधियां प्रारंभ करेंगे। यह केन्द्र राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण शोध केन्द्र सिद्ध होगा।

प्रो. भालेराव ने कहा कि डेजर्ट क्लाइमेट चेंज रिसर्च सेंटर (DCRC) की स्थापना राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी, जो विश्वविद्यालय की पहचान को एक ज्ञान का मार्गदर्शक और सतत समाधान देने वाले उत्प्रेरक के रूप में और मजबूत करेगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केन्द्र के विजन और मिशन को शीघ्र अंतिम रूप देकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाए, ताकि परियोजना को आगे बढ़ाया जा सके।

डॉ. एलएस राठौड़, डॉ. डीएस पाई और राधेश्याम शर्मा ने इस केन्द्र की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि DCRC पानी, कृषि, वानिकी, जैव विविधता, मरुस्थलीकरण, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं से जुड़ी चुनौतियों के समाधान में अहम भूमिका निभाएगा।

इस अवसर पर भुवनेश माथुर, आईएफएस, एसीईई (नीति, योजना, परियोजना, ईपीआर एवं आईटी), रवि कुमार (प्रतिनिधि, बीआईटी मेसरा) और राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।