महाराजा दाहरसेन व वीरांगना लाडी बाई हमारे पुरखे थे : लखावत

अजमेर। सिंधुपति महाराजा दाहरसेन की 1356वीं जयंती पर सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान की ओर से भारत भू का प्रथम जौहर-सिंध का हिंद के सम्मान में सर्वस्व समर्पण विषय पर आनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. अरविन्द पारीक, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी सहित सिन्ध साहित्य व शोध संस्थान के अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने विचार प्रकट किये।
संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि महाराजा दाहरसेन हिन्दुस्तान के रक्षक थे, राष्ट्र के रक्षक थे, वे हमारे पुरखे हैं। ऐसा इतिहास में कम देखने को मिलता है कि पूरा परिवार राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुआ हो। उनकी पत्नी वीरांगना लाडी बाई सम्पूर्ण हिन्दुस्तान के लिए प्रेरणास्त्रोत है और हम सबके लिए मातृतुल्य है। कोई हमारी अस्मिता पर कुदुष्टि ना डाले इसलिये वीरांगना लाडी बाई ने पहला जौहर किया। अपनी अस्मिता व मातृत्व के लिए वीरांगना व ऐसे यौद्धा हमारे लिए पूज्यनीय व आदर्श हैं।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. अरविन्द पारीक ने कहा कि विदेशी आंक्राताओं के हमलों से बचाने व देश की रक्षा के लिए ऐसे राजा व वीरांगनाओं ने अपने प्राण न्योछावर किए। समय समय पर आए आक्रमणकारियों से बचने के लिए यह संघर्ष हुआ। खलीफा के क्रूर आक्रमण को महाराजा दाहरसेन व वीरांगना लाडी बाई ने संघर्ष करते हुए जौहर किया। उनकी पुत्रियों ने खलीफाओं से परिवार के बलिदान का बदला लिया।
भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि भारतीय सिन्धू सभा की ओर से मातृशक्ति ईकाई देश भर में ऐसे वीर बलिदानियों व वीरांगनाओं के प्रेरणा प्रसंग युवा पीढी तक पहुचानें के लिए निरन्तर प्रयासरत है। महाराजा दाहरसेन स्मारक महापुरूषों के जीवन व राष्ट्र भक्ति का प्रेरणा स्थल है। सिन्ध साहित्य शोध व साहित्य संस्थान व विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों के लिए इतिहास से रूबरू हाने का केन्द्र है।
सिन्ध साहित्य व शोध संस्थान के अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने कहा कि शोध के लिए केन्द्रों द्वारा इतिहास को जन जन तक पहुंचाने के लिए रिसर्च सेन्टरों का निर्माण होना चाहिए जिससे महारानी लाडीबाई जैसी वीरांगना का इतिहास महिलाओं के शौर्य की गाथा बने।
वीरांगना लाडीबाई का परिचय
वीर सेनानी दाहरसेन की वीर पत्नी लाडीबाई के पास जब पति के बलिदान की हृदयद्रावक सूचना पहुंची तो क्षण भर ठिठक कर उन्होंने अपने अमर पति के पद का अनुसरण करने की निश्चय किया। वे राजनिवास से बाहर निकलीं और अपने सेना का नेतृत्व संभाल लिया। सिन्धुसुता के अपूर्व रणकौल से शत्रुओं में हाहाकार मच गया। परन्तु कतिपय देश द्रोहियों और विश्वासघातियों के अरब सेना से मिल जाने के कारण वीरांगना लाडीबाई को युद्ध के परिणाम का आभास हो गया। अपने सतीत्व एंव पवित्रता की रक्षा के लिए उन्होंने सिन्धी ललनाओं के साथ हंसते-हंसते जौहर की ज्वाला में आत्महुति दे दी। ज्वाला शिखा सी रानी का यह आत्मोसर्ग सिन्धु सांस्कृतिक दृष्टि को उजागर करता है।
सेना का अद्भुत पराक्रम
वीरांगना रानी के बलिदान से प्रेरणा लेकर बची-खुची सिन्धु वाहिनी शत्रु सेना पर टूट पड़ी। एक-एक सैनिक काल की तरह झपट्टे मारता था। शत्रु सेना पर साक्षात मृत्यु बरस रहीं थी। एक ओर मुट्ठी भर देशभक्त सैनिक थे और दूसरी ओर था अरब सैनिकों का विशाल समुद्र। फिर भी आखरी सांस तक वे जूझते रहे और अन्ततः एक-एक कर सभी बलिदानी वीर राष्ट्र के लिए संघर्ष करते मातृभूमि की गोद में सौ गए।
सूर्यकुमारी व परमल बॉल बैडमिंटन खेलकूद प्रतियोगिता के परिणाम
सिधुपति महाराजा दाहरसेन की 1356वीं जयन्ती के अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत सूर्यकुमारी व परमल बॉल बैडमिंटन मे 12 टीमों ने लीग मैच में भाग लिया। बालिका वर्ग मायापुर विद्यालय की छात्राएं सुमन, बिंदिया, पिंकी रावत, हर्षिता, पूजा रावत, रीना रावत, खुशी रावत विजेता एवं क्वीन मैरीस स्पोर्ट्स अकेडमी की सपना कटारिया, नूपुर राठौड, अनिता रावत, सोनू रावत, सपना रावत, शीला उपविजेता रही।
बालक वर्ग में ग्राम मायापुर टीम के योगेश, सागर, कमल सिंह, लक्की मडरावलिया, अजय माली, रेहान, अनुराग सिंह रावत विजेता व दिल्ली पब्लिक स्कूल तबीजी के छात्र राजवीर सिंह, शौर्य कुमार मिश्रा, छायांक कुमार निर्वाण, मुकुल मनोत, अभिनव सांखला,सत्यम कुमार मिश्रा, प्रज्ञान कुमार तिवारी उपविजेता रहे। प्रतियोगिता में कोच शुभम वैष्णव, सुप्रिया गौड एवं निर्णायक में किशोर कुमार मारोठिया, मनीषा, गरिमा गोयल थे।