नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित रूप से दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों की 7.44 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां कुर्क की हैं।
ईडी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ईडी ने जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर जैन के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) का मामला दर्ज किया। आरोप लगाया गया था कि जैन ने दिल्ली सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए 14 फ़रवरी, 2015 से 31 मई, 2017 की अवधि के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी।
सीबीआई ने तीन दिसंबर 2018 को जैन, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। जांच के परिणामस्वरूप, ईडी ने इससे पहले 31 मार्च 2022 को जैन के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां कुर्क की थीं और अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की थी। अदालत ने 29 जुलाई 2022 को पीसी का संज्ञान लिया।
ईडी द्वारा की गई जांच के दौरान यह पता चला कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के तुरंत बाद पूर्व मंत्री के करीबी सहयोगी और बेनामी अंकुश जैन और वैभव जैन ने 1.5 करोड़ रुपए जमा किए थे। आय घोषणा योजना (आईडीएस), 2016 के तहत अग्रिम कर के रूप में बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपए नकद जमा किए।
आईडीएस के तहत उन्होंने अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इन्फोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड के खातों में 2011-2016 के बीच प्राप्त 16.53 करोड़ रुपए की आय/संपत्ति के लाभकारी स्वामित्व का दावा किया, जबकि ये संस्थाएँ जैन के स्वामित्व और नियंत्रण में थीं।
आयकर विभाग और दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंकुश जैन और वैभव जैन को सत्येंद्र कुमार जैन का बेनामी धारक माना। माननीय उच्चतम न्यायालय ने उनकी विशेष अनुमति याचिकाओं और समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया और निष्कर्ष को अंतिम घोषित कर दिया।
यह जानकारी ईडी ने पीएमएलए, 2002 की धारा 66(2) के तहत सीबीआई के साथ साझा की थी। साझा की गई जानकारी के आधार पर सीबीआई ने मामले की आगे जांच की और एक पूरक आरोपपत्र दायर किया, जिसमें दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में जैन के कार्यकाल के दौरान अर्जित आय से अधिक संपत्ति का ब्योरा दिया गया है।
सीबीआई के पूरक आरोपपत्र के बाद ईडी ने अब 7.44 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों की पहचान की है और उन्हें कुर्क किया है। इस प्रकार, इस मामले में अब तक ईडी द्वारा कुर्क की गई कुल अपराध आय 12.25 करोड़ रुपए (4.81 करोड़ रुपए, 7.44 करोड़ रुपए) है, जो जैन द्वारा अर्जित आय से अधिक संपत्ति का 100 प्रतिशत है, जो उनके स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों में अचल संपत्तियों के रूप में है। इस मामले में पीएमएलए, 2002 के तहत शीघ्र ही एक पूरक अभियोजन शिकायत दायर की जाएगी।