अजमेर। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में गुरुवार को प्रथम वर्ष कला संकाय के विद्यार्थियों का दीक्षारंभ संस्कार एवं अभिभावक संवाद का आयोजन महाराणा प्रताप सभागार में किया गया। प्रथम वर्ष कला के सभी विद्यार्थियों को इस इंडक्शन प्रोग्राम के तहत आमंत्रित किया गया।
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर लीलाधर सोनी ने महाविद्यालय के इतिहास एवं उपलब्धियां की जानकारी के साथ-साथ महाविद्यालय में विद्यमान विभिन्न प्रकार की सुविधाओं कार्यक्रमों, शैक्षिक सह शैक्षणिक एवं शिक्षणेतर गतिविधियों के बारे में जाएनकारी दी। उन्होंने महाविद्यालय के पूर्व छात्र जिन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महाविद्यालय की कीर्ति को प्रसारित किया था उनके विषय में भी अवगत कराया।
मुख्य वक्ता एवं सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा प्रोफेसर अनिल दाधीच ने संस्कृत के श्लोक के माध्यम से विद्यार्थी को पांच लक्षण बताते हुए उन्हें सदैव जागरूक रहने की प्रेरणा दी तथा तथा विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आधारभूत तत्वों यथा आचरण, आस्था, श्रमशीलता, अनुशासन, सन्मित्र समूह पर भी प्रकाश डाला।
प्राचार्य प्रोफेसर मनोज बहरवाल ने अध्यक्षीय उदबोधन में चाणक्य का उदाहरण देते हुए बताया कि एक शिक्षक है जिसके गर्भ में सृजन एवं विनाश दोनों विद्यमान है। हमारी भारतीय परंपरा शिक्षकों के उसे पद को सुशोभित करती है। शिक्षक ही बड़े-बड़े महापुरुषों का निर्माणकर्ता है।
उन्होंने कहाा कि आप सभी महाविद्यालय के विद्यार्थी इस उत्कृष्ट महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण प्रारंभ कर चुके हैं। यह यात्रा केवल प्रारंभ की है समाप्ति की नहीं। इस यात्रा में विभिन्न प्रकार की समस्याएं आएंगी जिन्हें पार करते हुए ही हमें लक्ष्य को प्राप्त करना है।
शिक्षक के साथ ही प्राचार्य ने शिक्षक को परिभाषित करते हुए बताया कि शिक्षक को परिभाषित करते हुए बताया कि शिक्षक एक दर्शन है, एक संस्कार है, एक संस्था है, व्यक्ति न होकर के व्यक्तित्व है और वह शिक्षक ही विवेकानंद दयानंद और चंद्रगुप्त मौर्य का निर्माण करता है।
भारतीय ज्ञान परंपरा के सान्निध्य में शिक्षक और शिष्य की संबंधों का विश्लेषण करते हुए विद्यार्थियों को अध्यापक के साथ जिज्ञासु भाव में संवाद स्थापित करते रहना चाहिए।
इको वाइब्स एवं योजना मंच प्रभारी डॉ अनूप अत्रे ने धन्यवाद ज्ञापित किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ जितेंद्र थदानी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ दिलीप गैना, डॉ गेब्रियल खान, डॉ जितेंद्र मारोठिया, डॉ दिनेश भार्गव, डॉ पौरस कुमार, डॉ कामरान खान, डॉ विमल महावर, डॉ ज्योति देवल, डॉ मीनाक्षी गहलोत, डॉ प्रकाश चंद शर्मा आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।