संघ के स्वयंसेवकों की निष्ठा से ही आज संघ वट वृक्ष बना : निम्बाराम

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर लावपुरा बस्ती पृथ्वीराज नगर में विजयादशमी उत्सव व शस्त्र पूजन कार्यक्रम हषोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम का सान्निध्य रहा।

निंबाराम ने संघ की स्थापना की परिस्थितियों व पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए बताया कि डॉ हेडगेवार ने राष्ट्र प्रथम का मंत्र दिया, जिसको आज भी प्रत्येक स्वयंसेवक ध्येय मंत्र के रूप में आत्मसात कर देश सेवा और समाज सेवा मे तत्परता से निस्वार्थ भाव से लगा है।

प्रतिकूल प्रस्तुतियों मे संघ के स्वयंसेवकों की निष्ठा के कारण ही आज संघ एक वट वृक्ष बन गया है। आज विरोधी समाज में भ्रम फैलाकर हमारी संस्कृति को तोड़ना चाहते हैं, ऐसे समय में हमें अधिक सजग होकर समाज को एकजुट करना होगा, कार्य की गति बढ़ानी होगी।

आज जब ये गौरव का क्षण है कि संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है तो संघ ने भव्य कार्यक्रम नहीं करते हुए समाज के लिए ही कार्यक्रम करना तय किया। अतः पंच परिवर्तन के विषय स्व का जागरण, नागरिक शिष्टाचार, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण ऐसे समग्र विचार के साथ समाज के बीच काम करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेविका धर्मवती शर्मा रहीं। कार्यक्रम में गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने घोष की नाद पर शारीरिक का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में समाज के सभी वर्ग के बंधु, मातृशक्ति व गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए आगंतुकों ने सभी स्वयंसेवकों को 100 वर्ष पूर्ण करने पर बधाई और शुभकामना दी।

विवेकानन्द बस्ती में विजयादशमी उत्सव

जगतपुरा में वीर हनुमान मंदिर, श्वेत नगर, ज्ञान विहार विश्वविद्यालय के पास सर्व समाज के सहयोग से विजयादशमी उत्सव का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता उमा शर्मा रहीं। क्षेत्र प्रचारक श्रीवर्धन का सान्निध्य मिला। कार्यक्रम में 238 स्वयंसेवकों एवं समाजबंधुओं ने भाग लिया।

इस अवसर पर श्रीवर्धन ने शस्त्रों का पूजन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। स्वयंसेवकों ने शारीरिक योग व्यायाम का प्रदर्शन किया। स्वयं सेवकों ने अमृत वचन व काव्य पाठ प्रस्तुत कर मातृभूमि की रक्षा व हिन्दु धर्म को संरक्षित रखने के लिए संगठित रहने का महत्व बताया। मुख्य अतिथि उमा शर्मा ने संघ के इस कार्य के लिए सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया।

मुख्य वक्ता श्रीवर्धन ने विजयादशमी का महत्व बताते हुए कहा कि रामायण के पात्र ऋषि विश्वामित्र ने श्री राम एवं लक्ष्मण को यथार्थ का ज्ञान कराने के लिए देशाटन कराने व श्रीराम द्वारा पृथ्वी से समस्त राक्षसों को समाप्त करने के संकल्प कराया ठीक उसी तरह हमें भी ऐसा संकल्प करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि 1925 की विजयादशमी को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर भारतीय समाज को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और संगठित करने का संकल्प लिया था। उन्होंने बताया कि संघ ने बीते 100 वर्षों में समाज की एकता, जाति-भेद मिटाने, राष्ट्र गौरव पुनः स्थापित करने और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए निरंतर कार्य किया है।

अपने राष्ट्र को विश्वगुरु बनाने के लिए हम सक्रिय हैं। नागपुर में एक स्थान से प्रारम्भ इस संघ की आज 60 हजार से अधिक शाखाएं हैं व 42 संगठन इस कार्य को कर रहे हैं। इन शाखाओं में स्वयंसेवकों को दण्ड, नीयुद्ध, योग, व्यायाम, बौद्धिक कराया जाता है। यह नारी शक्ति को संगठित करने के लिए भी कार्य करता है।

उन्होंने संघ के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि 1965 में चीन ने भारत के विश्वास को तोड़कर हमला किया। भारतीय मजदूर संघ ने तत्काल बैठक कर अपना आन्दोलन रद्द कर राष्ट्र को सहयोग का निर्णय लिया किन्तु कम्यूनिस्ट दल के नेता नम्बूदरीपाद ने इस विकट हालात में भी अपनी मांगों को मनवाने के लिए उनके आन्दोलन को और मजबूती से चलाने का निर्णय लिया।

उन्होंने वर्तमान चुनौतियों और पंच परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें कुटुंब प्रबोधन – परिवार में संवाद और एक साथ भोजन की परंपरा। सामाजिक समरसता – संपूर्ण हिंदू समाज को एक सूत्र में बांधना। पर्यावरण संरक्षण–प्लास्टिक हटाना, जल बचाना और वृक्षारोपण। स्वदेशी – अपने चौखट में अपनी भाषा, भूसा, भेष और भजन को अपनाना तथा नागरिक कर्तव्य – समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन पर काम करना है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मातृशक्ति की उपस्थिति ने इसे विशेष महत्व प्रदान किया। विजयादशमी के इस पावन पर्व पर उपस्थित समाजबंधुओं ने राष्ट्र निर्माण के कार्य में सहयोग का संकल्प लिया।

सांगानेर जिले के महापुरा मंडल में शस्त्रपूजन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों की श्रंखला में आयोजित विजयादशमी उत्सव के अन्तर्गत सांगानेर जिले के महापुरा मंडल में शस्त्रपूजन किया गया। इस अवसर पर मंडल के स्वयंसेवको ने घोष और व्यायाम का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में मुख्य प्रबोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार का रहा।

उन्होंने अपने प्रबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा पिछले सौ वर्षों में कई संघर्षों सें होकर गुजरी है, लेकिन यह कभी रूकी नहीं। संघ का कार्य समाज से दोष हटाकर गुणवान समाज बनाना है, जो राष्ट्र को आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और मूल्याधारित नागरिकों से युक्त बनाने में सहयोग करें।

उन्होंने कहा कि मात्र सत्ता बदलने से समाज नहीं बदलता है और समाज परिवर्तन का कार्य भाषण, पुस्तकों और प्रवचनों से नहीं होता है, बल्कि समाज में परिवर्तन, समाज के लोगों के साथ ह्रदय सें जुड़ाव महसूस करने सें होता है।

संघ के शताब्दी वर्ष में आगे के कार्यों के बारे में बोलते हुए उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष में संघ भारत के हर घर में संपर्क करके स्वयंसेवक बनाने का कार्य करेगा और पंच परिवर्तन के माध्यम से दोष रहित समाज का निर्माण करेगा।

स्वदेशी और स्वभाषा पर हमें गर्व करना चाहिए और नई पीढ़ी को राष्ट्र और समाज का चिंतन करने हेतु तैयार करना चाहिए। कार्यक्रम में रतन लाल जिला सहसंघचालक, राजेन्द्र पाण्डेय बगरू खण्ड संघ चालक, गीता राम जी पूर्व सरपंच कलवाड़ा सहित लगभग तीन सौ गणवेशधारी स्वयंसेवको के साथ व्याप्त जन समुदाय उपस्थित रहा।

संघ राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है : अरुण कुमार

हरमाड़ा नगर की हेडगेवार बस्ती में विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशोक झाझड़िया (SMS) एवं मुख्य वक्ता के रूप में सह सरकार्यवाह अरुण कुमार (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) उपस्थित रहे।

इस अवसर पर 90 स्वयंसेवकों द्वारा विविध शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया, जिसमें सामूहिक व्यायाम, योगासन और दंड-युद्ध की झलक देखने को मिली।कार्यक्रम में कुल 350 गणवेशधारी स्वयंसेवक, 250 मातृशक्ति तथा 200 समाजबंधु उपस्थित रहे। जयपुर महानगर संघचालक  चेनसिंह राजपुरोहित तथा हरमाड़ा नगर संघचालक  महावीर सैनी भी मंचासीन रहे।

इस अवसर पर सह सरकार्यवाह अरुण कुमार कहा कि विजयादशमी का पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और धर्म की विजय का प्रतीक है। यह हमें स्मरण कराता है कि अधर्म और अन्याय चाहे कितने भी प्रबल हों, अंततः विजय सत्य और धर्म की ही होती है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता उसकी निरंतरता, सनातन है। अन्य संस्कृतियां इतिहास में विलुप्त हो गईं, किंतु भारत की संस्कृति हर बार कठिनाइयों से उठ खड़ी हुई।

आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिवस भी है। गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को ‘स्वराज्य, स्वधर्म और स्वदेशी’ से जोड़ा तथा ग्राम स्वराज्य और रामराज्य की कल्पना दी। लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और निर्भीक नेतृत्व का आदर्श रहा। संघ की शताब्दी वर्ष की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और संकल्प का है। हमें यह देखना होगा कि सौ वर्षों में संघ की यात्रा कहां से कहां पहुंची और आगे कौन-से कार्य शेष हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का लक्ष्य राष्ट्र का परम वैभव है—एक ऐसा समाज जो आध्यात्मिक आधार पर संपन्न और सबल हो। संघ स्वयं को बढ़ाने का नहीं, बल्कि राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है। साध्य, साधन और साधक की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का मार्ग है धर्म, संस्कृति और समाज का संरक्षण, और इसका आधार है संस्कारित, संगठित तथा आत्मविश्वासी समाज। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही समाज के चरित्र में मूलभूत सामाजिक परिवर्तन लाना था। सशक्त समाज ही सशक्त राष्ट्र का आधार है। आने वाले समय की पांच बड़ी चुनौतियाँ हैं जिस पर संघ कार्य प्रारम्भ कर चुका है।

• परिवार प्रबोधन–परिवार में संवाद, संस्कार और एकता।
• सामाजिक समरसता–जाति-भेद को समाप्त कर एकात्मता।
• पर्यावरण संरक्षण–जल बचाना, प्लास्टिक हटाना और वृक्षारोपण।
• स्वदेशी–अपनी भाषा, संस्कृति और संसाधनों का प्रयोग।
• नागरिक कर्तव्य–प्रत्येक व्यक्ति का राष्ट्रहित में जिम्मेदार आचरण।

उन्होंने विशेष रूप से कहा कि यदि समाजबंधु शाखा में समय नहीं दे सकते, तो भी इन पंच परिवर्तन के संकल्पों को अपने जीवन में उतारें। यही संघ के 100 वर्ष पूरे होने का सच्चा उत्सव होगा। यदि समाज इन मूल्यों को आत्मसात करे तो राष्ट्र हर प्रकार की विषमता से मुक्त होकर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होगा।