राजस्थान में पिछले 7 विधानसभा उपचुनावों में भाजपा ने जीती सर्वाधिक 5 सीटें

जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद अब तक प्रदेश में सात उपचुनाव हो चुके हैं और उनमें सर्वाधिक पांच सीटें सत्तारुढ़ भाजपा ने जीती है और अब आगामी 11 नवंबर को बारां जिले में होने वाले अंता विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस की चुनावी प्रतिष्ठा फिर दांव पर लगी हैं।

भाजपा ने इस उपचुनाव में पिछले विधानसभा की तरह नया प्रत्याशी मोरपाल सुमन को चुनाव मैदान में उताकर चुनावी दांव खेला हैं जबकि कांग्रेस ने इस क्षेत्र से दो बार विधायक एवं मंत्री रहे प्रमोद कुमार जैन पर फिर भरोसा जताया हैं। हालांकि उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के कूद जाने से मुकाबला रोचक होने के आसार है।

सत्तारुढ़ भाजपा के भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में पिछले सात उपचुनावों में सर्वाधिक पांच सीटें जीतने और राज्य सरकार द्वारा निवेश के लिए करीब 37 लाख करोड़ के एमओयू करने और उसके बाद करीब सात लाख करोड़ के एमओयू जमीन पर उतारने का दावा करने से भाजपा नेता उत्साह में हैं।

अंता क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र एवं सांसद दुष्यंत सिंह का लोकसभा क्षेत्र भी है वहीं सुमन को राजे के करीबी माना जा रहा है और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ सहित पार्टी के अन्य नेता अपने प्रत्याशी की जीत का मजबूत दावा कर रहे हैं और उनका कहना है कि भाजपा सरकार के बहुत कम समय में ऐतिहासिक काम करने के कारण जनता में भजनलाल सरकार के खिलाफ कोई लहर भी नहीं हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने प्रत्याशी के जीत के दावे कर रहे हैं।

कांग्रेस नेताओं का अपने उम्मीदवार को अनुभवी बताने के साथ राज्य सरकार पर जनता से वादा खिलाफी करने का आरोप लगाते हुए कहना है कि भाजपा सरकार द्वारा पिछले करीब दो साल में जनता को कोई बड़ी राहत नहीं पहुंचाई गई हैं ऐसे में जनता कांग्रेस की तरफ देख रही है।

इस उपचुनाव में गत देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में एसडीएम के थप्पड़ मारने के मामले से सुर्खियों में आए नरेश मीणा भी निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ रहे हैं और रविवार को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) ने उनको समर्थन देने की घोषणा भी की है।

जातीय समीकरण के हिसाब से इस क्षेत्र में 30 हजार से अधिक मीणा जाति के मतदाता भी हैं और नरेश मीणा अपने को इस उपचुनाव में तीसरा विकल्प बता रहे हैं। उनके चुनाव मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार है। मीणा यह तीसरा विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उपचुनाव के लिए भाजपा एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के चुनाव प्रचार करने की सूचियां जारी हो चुकी हैं और अब दीपावली के पर्व के बाद चुनावी सरगर्मियां और तेज होने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में गत वर्ष 13 नवंबर को हुए सात उपचुनाव में भाजपा ने पांच सीटों पर जीत हासिल की जिसमें झुंझुनूं, खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा में अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया वहीं सलूंबर में अपना राजनीतिक दबदबा कायम रखा। इन उपचुनावों में भाजपा ने सांसद हनुमान बेनीवाल के खींवसर में राजनीतिक गढ़ को भी ढहाया।