ज्योतिष सम्मेलन सारगर्भित हो मतभेद हो पर मनभेद ना हो
उदयपुर। चक्र साधना प्राइवेट लिमिटेड के बेनर तले तीन दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन में ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, टेरा कार्ड, हस्त रेखा आदि कई भारतीय प्राच्य विद्याओं के विषयो पर ज्योतिष शास्त्रियों ने विचार व्यक्त किए।
जोगणियाधाम पुष्कर के संस्थापक एवं ज्योतिषाचार्य भंवर लाल ने भी ज्योतिष शास्त्र के मूल सिद्धांत पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ज्योतिष सम्मेलन सारगर्भित होने चाहिए ताकि जनता को इसका सीधा फायदा मिले साथ ही अंधविश्वास से दूर रह कर सच्चे भारतीय सनातन की ज्योतिष संस्कृति के ज्ञान से परिचित हों। ज्योतिष शास्त्र तीर तुक्के और अंगूठे के नियम से नहीं बल्कि आकाशीय ग्रह की चाल और उनमें प्रतिक्षण हो रहे बदलाव के नियमों पर ही आधारित हो।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मान्यताओं, अंधविश्वासों, तीर तुक्के, नियम से दूर ज्योतिष शास्त्र ग्रहों की गणित पर आधारित है। ज्योतिष शास्त्र फल सूचक होता है ना कि फलदायक। कई गलत अवधारणों पर विचार-विमर्श कर उन्हें सही करें। कोई विज्ञान अंतिम सत्य नहीं होता। मांगलिक कुंडली के भय को समाप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के मूल सिद्धांतों का ही उपयोग कर समाज में व्याप्त भय दूर करें। राहू काल सर्प योग जैसे डरावने भय दूर करें तथा प्रकृति पर आधारित शक्तियों के सच बताएं।
उन्होंने कहा कि सूर्य के प्रकाश से सभी ग्रह उपग्रह प्रकाश मान होते हैं और उन से परावर्तित रश्मियां का प्रभाव पृथ्वी पर कितना और कैसे पडता है उसका बखान ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है। इस विषय पर गंभीर विचार विमर्श के बाद ज्योतिष शास्त्र की सलाह या भविष्यवाणी कारगर होती है।
ज्योतिष जगत में लगभग 35 वर्षो से निशुल्क सेवा देने और प्राच्च विद्याओं के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए लगातार प्रयास करने के लिए ज्योतिष सम्मेलन में भंवरलाल को प्रशंसा पत्र प्रदान किया। तीर्थ स्थल पुष्कर में एक दिवसीय ज्योतिष कॉन्फ्रेंस का आयोजन प्रस्तावित है।
पुष्कर में होगी एक दिवसीय ज्योतिष कॉन्फ्रेंस
ज्योतिष चक्रे मासिक पत्रिका के फरवरी 2026 में 23 वर्ष पूर्ण होने पर तीर्थ नगरी पुष्कर में एक दिन की ज्योतिष कान्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। इस ज्योतिष कॉन्फ्रेंस में अनुभवी ज्योतिष वास्तु शास्त्री और भारतीय प्राच्य विद्याओं के विद्वानों को सीमित संख्या में आमंत्रित किया जाएगा।
ज्योतिष चक्रे पत्रिका का मासिक प्रकाशन नियमित रूप से वर्ष 2007 से आर्थिक कारणों से जारी नहीं हो पा रहा है। विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया कि सीमित संख्या में ही पुस्तक प्रकाशन भामाशाओं के सहयोग से पुनः शुरू किया जाएगा।
ज्योतिष चक्रे
भारतीय प्राच्य विद्याओं की मासिक पत्रिका
आरएनआई – पंजीकरण संख्या : राज/बीआईएल/2003/10744
प्रथम अंक – मार्च 2003
प्रकाशक मुद्रक और स्वताधिकार श्रीमती चन्द्रा
मानव सम्पादक ज्योतिषाचार्य भंवर लाल
प्रथम अंक (प्रवेशांक)
जोगमाया सातू बहना बिजासन मां की असीम कृपा और स्वर्गीय प्रभाती देवी के दिव्य आशीर्वाद से प्रकाशित करने का अवसर मिला। ज्योतिष चक्रे भारतीय प्राच्च विद्याओं की मासिक पत्रिका के प्रथम अंक का विमोचन राजस्थान के तात्कालिक राज्यपाल महामहिम अंशुमान सिंह ने अजमेर सर्किट हाउस में दिनांक 26 फरवरी 2003 को किया। समारोह मे नागर यूनिवर्सिटी के कुलपति महिला आयोग उदयपुर की उपाध्यक्ष व डीएसपी चेतना भाटी तथा चक्र साधना के निदेशक मनोज सोनी व विद्या वर्मा उपस्थित थे।



