भारत-रूस के बीच आर्थिक सहयोग का पंचवर्षीय करार, संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प

नई दिल्ली। भारत और रूस ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के सभी पहलुओं पर चर्चा करते हुए आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प लिया है और 2030 तक के लिए आर्थिक सहयोग का विस्तृत कार्यक्रम तय किया है।

दोनों देशों ने श्रम, स्वास्थ्य सेवा एवं स्वास्थ्य शिक्षा, संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के साथ नए ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस ने भारत को उर्जा क्षेत्र में सहयोग करने और तेल आपूर्ति में निरंतरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपने वक्तव्य में दोनों देशों की दोस्ती की तुलना ध्रुव तारे से की और कहा कि यह दोस्ती मजबूत भरोसे की बुनियाद पर खड़ी है और समय की कसौटी पर खरी उतरी है।

मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच पांच वर्ष के आर्थिक सहयोग कार्यक्रम से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में विविधता आएगी और सहयोग के नए अवसर खुलेंगे।

पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच सालाना व्यापार इस समय 64 अरब डालर के बराबर है जिसे 2030 तक 100 अरब डालर तक पहुचांने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि शिखर बैठक के दौरान प्रतिनिधि स्तर की वार्ताओं के बाद जो विस्तृत दस्तावेज तैयार हुआ है उससे आर्थिक, व्यापारिक, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग को नए आयाम मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत और रूस आपसी व्यापार एवं भुगतान के लिए धीरे-धीरे अपनी मुद्राओं के इस्तेमाल की दिशा में बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भुगतान की चुनौतियों को देखते हुए भारत और रूस के बीच बैंकिंग प्रणाली के इस्तेमाल की एक विशेष व्यवस्था की जा रही है। रूस पर पश्चिमी देशों की प्रतिबंधों को देखते हुए रूसी राष्ट्रपति का यह बयान महत्वपूर्ण है।

उन्होंने यह भी कहा कि रूस ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है और वह भारत को तेल की आपूर्ति निरंतर जारी रखने को तैयार है। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लम्बे समय से चले आ रहे सहयोग का उल्लेख किया और कहा कि रूस भारत के साथ छोटे माड्यूलर परमाणु रिएक्टर और तैरते परमाणु संयंत्रों के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकता है। पुतिन ने कहा कि उनका देश भारत के साथ सैन्य साजो सामान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है।
प्रधानमंत्री और पुतिन के बीच युक्रेन सहित क्षेत्री और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

मोदी ने पहलगाम और क्रोकस सिटी में हाल में हुए आतंकवादी हमलों का उल्लेख करते हुए आतंकवाद को मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ वैश्विक एकता ही सबसे बड़ी ताकत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं और मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है। उन्होंने कहा कि परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं।

मोदी ने कहा कि आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक सहयोग कार्यक्रम प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश विविधतापूर्ण , संतुलित और स्वस्थ बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

उन्होंने भारत रूस व्यावसायिक फोरम में पुतिन के साथ शामिल होने के कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए विश्वास जताया कि यह मंच दोनों देशों के बीच व्यावसायिक संबंधों को नई ताकत देगा। इससे निर्यात, मिल कर उत्पादन और नवाचार के नए दरवाजे भी खुलेंगे। मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि और उर्वरक के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग, खाद्य सुरक्षा और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं। मोदी ने भारत और रूस के बीच सम्पर्क मार्गों के विस्तार को दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण बताया और इसे दोनों की मुख्य प्राथमिकता कहा है। पुतिन ने भी अपने वक्तव्य में इसका जिक्र किया।

मोदी ने कहा कि हम अंतराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी), नॉर्थ सी मार्ग, चेन्नई-व्लादिवोस्टोक गलियारा पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। भारतीय नाविकों को उत्तरी ध्रुव सागर क्षेत्र में प्रशिक्षण देने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी सहमति बनी है। इस पर खुशी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उन्होंने पोत निर्माण के क्षेत्र में रूस के साथ गहरे सहयोग की इच्छा जताते हुए कहा कि इससे मेक इन इंडिया को बल मिलेगा। उन्होंने इसे दोनों देशों के लिए लाभ का सौदा बताते हुए कहा कि जिससे रोजगार, कौशल विकास और क्षेत्रीय सम्पर्क सुविधाओं का विस्तार होगा। ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। परमाणु उर्जा के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, स्वच्छ उर्जा की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है और इसे जारी रखेंगे।

महत्वूपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में रूस के साथ सहयोग के लिए बातचीत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हमारा सहयोग पूरे विश्व में सुरक्षित और विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इससे स्वच्छ ऊर्जा, उच्च-प्रौद्योगिकी आधारित विनिर्माण और नए दौर के उद्योगों में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

मोदी ने कहा कि रूस में भारत के दो नए वाणिज्य दूतावास खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा तथा नजदीकिया बढेंगी। उन्होंने गत अक्टूबर में रूस के काल्मिकिया में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध मंच मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की दर्शन की सुविधा का जिक्र करते हुए जतना के स्तर पर सम्पर्क बढ़ाने के कदमों का उल्लेख किया।

मोदी ने शीघ्र ही भारत आने वाले रूसी पर्यटकों के लिए 30 दिन का निशुल्क ई-टूरिस्ट वीजा और 30- दिन का ग्रुप टूरिस्ट वीजा की शुरुआत किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के श्रमिकों की आवाजाही के समझौते से दोनों देशों के लोगों में जुड़ाव बढने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर उत्पन्न होंगे।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौते किए गए हैं। हम मिलकर व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और प्रशिक्षण पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के विद्यार्थियों, विद्वानों और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

बैठक में यूक्रेन के बारे में हुई बातचीत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस मुद्दे के शांति पूर्वक समाधान में सहयोग करने को हमेशा तैयार है। उन्होंने कहा कि आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से चल रहे सहयोग का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस सीटी हाल (रूस) पर किया गया कायरतापूर्ण आघात—इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। उन्होंने कहा कि भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और रूस, संयुक्त राष्ट्र, जी20, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है और यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा। राष्ट्रपति पुतिन ने भी अगले वर्ष ब्रिक्स की भारत की अध्यक्षता को पूरा सहयोग देने का वायदा किया। मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत और रूस मित्रता वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देगी।

अपने वक्तव्य के प्रारंभ में मोदी ने भारत-रूस सहयोग को मजबूत बनाने में पुतिन के योगदान की सराहना की और इस गहरी मित्रता और इसके प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए उनका आभार जताया । प्रधानमंत्री ने कहा कि पुतिन ने इसे पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है।

मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक पड़ावों से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी रणनीतिक भागीदारी की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को विशेष और विशेषाधिकार पूर्ण रणनीतिक भागीदारी का दर्जा मिला।