इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में बुधवार को हुयी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक ने भारत के सीमा पार हमलों से उत्पन्न स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे युद्ध की कार्रवाई करार दिया। इसने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार भी दिया। एनएससी ने भारत के सीमा पार हमलों में मारे गए नागरिकों के लिए प्रार्थना की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इसने भारतीय कार्रवाई को पाकिस्तान की संप्रभुता और अखंडता का घोर उल्लंघन करार दिया। इसमें कहा गया कि भारत की कार्रवाई स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा परिभाषित युद्ध की कार्रवाई के अंतर्गत आती है।
एनएससी ने भारत की निंदा करते हुए कहा कि वह झूठे आरोपों के आधार पर नागरिक क्षेत्रों को निशाना बना रहा है और मस्जिदों तथा अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा रहा है। विशेष रूप से भारत ने उन मस्जिदों को निशाना बनाया जो लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के मुख्यालय के रूप में काम कर रहे थे। ये सभी भारत में कई सीमा पार आतंकवादी हमलों में शामिल रहे हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने काल्पनिक आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाने के बहाने सियालकोट, शकरगढ़, मुरीदके, बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद में हमले किए। हमलों में निर्दोष पुरुष, महिलाएं और बच्चे शहीद हुए।
बुधवार को नेशनल असेंबली सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने भारतीय आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने यह झूठी कहानी भी फैलाई कि पाकिस्तान के पास इस बात के सबूत हैं कि इस साल की शुरुआत में बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस की घटना में भारत शामिल था।
उन्होंने कहा कि पहलगाम घटना से पाकिस्तान का कोई संबंध नहीं था। हमने जांच के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोग का भी प्रस्ताव रखा था। उन्होंने दावा किया कि छह पाकिस्तानी शहरों पर हमले में 80 भारतीय विमान शामिल थे।
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