पत्रकार सुबह घर से निकलता है और दिनभर घोड़े की तरह फील्ड में दौड़ता है, तब जाकर खबरों का जुगाड़ होता है। दिनभर दौड़ने के लिए एनर्जी चाहिए और एनर्जी के लिए चने-भूंगड़े से बेहतर भला क्या हो सकता है !!
यह बात अजमेर के जिला कलेक्टर से बेहतर कोई नहीं जानता, तभी तो कल उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों की मान मनुहार आधा कप चाय, दो बिस्किट और चने-मूंगफली से की गई…जी हां भूंगड़े और मूंगफली।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनुहार का मतलब हैवी ब्रेकफास्ट या लंच-डिनर सहित महंगा गिफ्ट हो, ऐसा नहीं है। कई बार सात्विक टाइप की पीसी भी होती है, लेकिन इतनी ज्यादा सात्विक और पौष्टिक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हो सकती है, ये अजमेर के पत्रकारों ने कल देख लिया। शायद यह पहला मौका होगा जब नाश्ते की प्लेट में दो बिस्किट के साथ इतनी नफासत से मूंगफली-भूंगड़े परोसे गए हों।
अजमेर में एसआईआर शुरू होने जानकारी मीडिया में साया कराने के लिए जिला प्रशासन ने मीडिया कर्मियों का मजमा जुटाया था। प्रशासन की पीसी पहले भी होती रही हैं.. लेकिन इस बार नवाचार हुआ। इस बार अफसरों ने सरकारी बैठकों से ज्यादा इस पीसी को तवज्जो दी, पत्रकारों की सेहत का खास तौर पर ध्यान रखा।
ज्यादा चाय गैस करती है… कचौरी-समोसा ऑइली होता है… नमकीन वेफर्स भी सेहत के लिए ठीक नहीं होते!
हालांकि प्रशासन के पास बजट की रत्तीभर कमी नहीं (?) है। कलेक्टर साहब चाहते तो पत्रकारों को हैवी ब्रेकफास्ट या लंच भी करा सकते थे। लेकिन फिर उनसे घोड़े की माफिक दिनभर दौड़ा नहीं जाता। शायद यही सोचकर डीप स्टडी के बाद अफसरों ने नाश्ते का मैन्यू और चने मूंगफली के दानों की तादाद तय की होगी।
वैसे कलेक्टर साहब पीसी की बजाय प्रेस नोट ही जारी करवा देते, तो भी मीडिया वाले वैसे का वैसा पाठकों तक पहुंचा देते…*खामख्वाह चने-भूंगड़े दांव पर लगाए!*
चर्चा तो यह भी है कि कलेक्टर साहब इस पीसी के जरिए राजनीतिक दलों को भी ‘गली’ दिखा गए कि पत्रकार चने भूंगड़े खाकर भी खुश रह सकते हैं… सस्ते में निपटाओ तो चुनाव आयोग की खर्च की बंदिश भी आड़े नहीं आएगी!



