अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाई डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती

अजमेर। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद राजस्थान क्षेत्र चित्तौड़ प्रांत की अजमेर इकाई की ओर से भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती जो कि अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाई जाती है के उपलक्ष में एक संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को अजमेर जिला बार एसोसिएशन के सभागार में किया गया।

संगोष्ठी के विषय “अधिवक्ताओं की भूमिका एवं व्यवहार” पर मुख्य वक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक स्वरूप माथुर ने संबोधित करते हुए अपने कहा कि अधिवक्ताओं की भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन संविधान निर्माण और निरंतर रूप से सामाजिक समस्याओं के निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अधिवक्ताओं को अपने पक्षकारों की ओर से जब किसी भी प्रकार की कोई समस्या बताई जाती है या प्रकरण में उनकी ओर से न्यायालय में पैरवी के लिए दिया जाता है तब उससे संबंधित समस्त विधियों का गहन अध्ययन कर अपने पक्षकार की ओर से पैरवी हेतु सजग रहना चाहिए।

इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं को समाज में अपने व्यवहार भी उत्तम रखना चाहिए। कार्यक्रम में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की राष्ट्र कार्यकारिणी के सदस्य जगदीश सिंह राणा ने कहा कि अधिवक्ताओं को अपने व्यवसाय के संबंध में पूर्ण सजकता, गहन अध्ययन और पक्षकार की पैरवी ईमानदारी से करनी चाहिए। पूर्ण गणवेश, पत्रावली के पूर्ण अध्ययन और संबंधित विधियों की जानकारी के साथ पैरवी करनी चाहिए।

उन्होंने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार से वे राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी निष्पक्ष थे और जब सोमनाथ मंदिर के कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था तत्समय के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें उस कार्यक्रम में नहीं जाने हेतु कहने पर भी वे अपनी व्यक्तिगत हैसियत से स्वयं के खर्चों पर उस कार्यक्रम में शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल नाग भी विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में अधिवक्ता परिषद चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष बसंत विजयवर्गीय, विशेष आमंत्रित सदस्य जयप्रकाश शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा, अजयमेरू इकाई के पदाधिकारी एवं सदस्य तथा अजमेर बार के प्रबुद्ध गणमान्य अधिवक्ता उपस्थित हुए। कार्यक्रम के अंत में अजयमेरू इकाई के अध्यक्ष भवानी सिंह रोहिला ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अजयमेरु इकाई के महामंत्री भरत कुमावत ने किया।